कर्मचारी की भलाई, सहभागिता और सुधार जैसे कई पहलू और मुद्दे तब सामने आते हैं जब कोई कर्मचारी के प्रदर्शन का समर्थन करने वाले कारकों के विषय में चर्चा करता है। संगठनात्मक संस्कृति के मूलभूत तत्वों में से एक है – ‘स्वामित्व की भावनाÓ। इसका तात्पर्य उत्तरदायित्व और प्रतिबद्धता से है, जो सौंपे गए कार्यों/परियोजनाओं के प्रभावी और समय पर पूरा करने पर आधारित है और स्वयं को कार्यों/परियोजनाओं के लिए जिम्मेदार मानते हुए अपनी व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं से परे प्रदर्शन करना है। ऐसे कर्मचारी कार्य/परियोजना की किसी त्रुटि या विफलता के मामले में स्वयं को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी मानते हैं। यह अंतत: जवाबदेही से परे है और कर्मचारियों द्वारा स्वामित्व वाले कार्यों/परियोजनाओं में विचारों, समाधानों और नवाचारों की पहल का परिणाम होता है।
जवाबदेही और स्वामित्व की भावना के दो प्रमुख घटक हैं। जवाबदेही से तात्पर्य उस कार्य/परियोजना के प्रति जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता की भावना से है, जिसके स्वामित्व को व्यक्ति मानता है। यहां पहल का तात्पर्य व्यक्ति द्वारा स्वामित्व वाले कार्य/परियोजना को सर्वोत्तम तरीके से करने के लिए किए गए सक्रिय प्रयासों से है। स्वामित्व की भावना वाले कर्मचारी न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने के अपने प्रयास तक स्वयं को सीमित नहीं रखते। दूसरी ओर, ऐसे संगठन जहां कर्मचारियों में स्वामित्व की भावना की कमी होती है वहां गलत निर्णय या हानिकारक परिणाम सामने आने पर सभी एक-दूसरे पर दोषारोपण करते हैं। इसके अतिरिक्त, कर्मचारी प्रयोग करने और नवोन्मेष लाने के लिए स्व-प्रेरित नहीं होते हैं, और संगठन कर्मचारियों की पूरी क्षमता का उपयोग करने में असमर्थ होता है, जिससे वे कार्यबल के रूप में दीर्घकालिक रणनीतिक परिदृश्य में अपनी पूरी बौद्धिक शक्ति का उपयोग भी नहीं कर पाते।
इसी प्रकार, कई शोध अध्ययनों ने भी सुझाव दिया है कि कर्मचारियों की स्वामित्व की भावना और कर्मचारी सहभागिता के बीच एक महत्त्वपूर्ण संबंध है। यह स्वामित्व की भावना अंतत: सहभागिता को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होती है।