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नेतृत्व : सामाजिक संबंधों को मजबूती दे सकता है ‘स्कार्फ’ मॉडल

locationनई दिल्लीPublished: Aug 30, 2021 10:05:27 am

Submitted by:

Patrika Desk

नेतृत्व मॉडल की वैज्ञानिक और अंत:विषय विश्लेषण में रुचि को प्रभावी ढंग से प्रोत्साहित कर सकता है न्यूरोलीडरशिप का क्षेत्र।

प्रो. हिमांशु राय

प्रो. हिमांशु राय

प्रो. हिमांशु राय

(लेखक आइआइएम इंदौर के निदेशक हैं)

एकीकरण (इंटीग्रेशन), प्रेरणा (इंस्पिरेशन), कल्पना (इमेजिनेशन) और अंतज्र्ञान (इन्टूइशन) – इन 4-आइ के विकास के अलावा ‘एससीएआरएफ’ यानी ‘स्कार्फ’ मॉडल का उपयोग करके न्यूरोलीडरशिप की क्षमता का और भी अधिक विकास किया जा सकता है। इनसे सामाजिक अंत:क्रियाओं के आयाम समझने में एक लीडर को मदद मिलती है। ये आयाम निम्नलिखित हैं:

स्थिति (स्टेटस) – यह एक विशिष्ट पहचान विकसित करने की प्रक्रिया है जो सामान्यत: सभी की तुलना में किसी को मूल्यवान और महत्त्वपूर्ण महसूस कराती है। यह वित्तीय स्थिति, पदनाम या अन्य उपलब्धियों पर आधारित हो सकती है। प्रत्येक कर्मचारी को अपनी स्थिति को सुधारने और उसकी रक्षा करने की मनोवैज्ञानिक आवश्यकता महसूस होती है। एक लीडर को दूसरों को नीचा दिखाकर या दोषारोपण कर या धमका कर उनकी स्थिति को कमजोर नहीं बनाना चाहिए, और न ही नष्ट करने का प्रयास करना चाहिए। नए विचारों को हतोत्साहित न करते हुए उनके अद्वितीय विचारों का श्रेय भी उन्हें ही देना चाहिए। उन्हें कर्मचारियों की उपलब्धियों को और भी बढ़ाने के लिए अवसर प्रदान करना चाहिए।

निश्चितता (सर्टेन्टी) – मनुष्य प्रकृति में मनोवैज्ञानिक रूप से प्रादेशिक हैं और अराजक और अपरिचित परिवेश का विरोध करते हैं। इसी प्रकार, एक सफल लीडर को नियोजित परिवर्तनों की सुविधा देनी चाहिए; विश्वास, तालमेल और पारदर्शी संचार चैनलों का निर्माण करके मौजूदा प्रणालियों को स्पष्ट बनाकर अस्पष्टता से मुक्त रखने का प्रयास करना चाहिए।

स्वायत्तता (ऑटानमी) – एक लीडर को अपने अधीनस्थों को उनके कार्यों में स्वायत्तता प्रदान करके सशक्त (संतुलित अनुपात में) बनाना चाहिए। उन्हें अपने अधीनस्थों में से भी भविष्य के लीडरों की पहचान कर उनका विकास करना चाहिए और सूक्ष्म प्रबंधन की रोकथाम करनी चाहिए।

संबंधितता (रिलेटिडनेस) – मनुष्य मनोवैज्ञानिक रूप से अपनेपन की भावना के लिए प्रेरित होते हैं, और ऐसे ही हम सामाजिक प्रणालियों के माध्यम से विकसित भी हुए हैं। इस प्रकार एक लीडर को ‘इन-ग्रुप्स’ और ‘आउट-ग्रुप्स’ (एलएमएक्स थ्योरी) के बारे में पता होना चाहिए और अपने ‘इन-ग्रुप’ का विस्तार करने और आपसी विश्वास पर बनी टीम भावना और रिश्तों को सुदृढ़ करने का प्रयास करना चाहिए।

निष्पक्षता (फेअरनेस) – सामाजिक अंत:क्रियाओं में हमेशा समानता के तत्व शामिल होने चाहिए। नीतियों और आचरण में पारदर्शिता बरती जानी चाहिए।

एससीएआरएफ मॉडल मानव मनोविज्ञान की समझ पर आधारित है और यह लीडरों के सामाजिक संबंधों को समृद्ध करता है।

हालांकि न्यूरोलीडरशिप एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है और इसमें गहन शोध की आवश्यकता है, न्यूरोसाइंस के नजरिए से नेतृत्व को देखने का विचार भी आकर्षक हो सकता है। फिलहाल लीडरों के लिए, यह क्षेत्र नेतृत्व मॉडल की वैज्ञानिक और अंत:विषय विश्लेषण में रुचि को प्रभावी ढंग से प्रोत्साहित कर सकता है।

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