कैसा होना चाहिए ‘सर्वेंट लीडर’
1. सहानुभूति रखे: वह न सिर्फ अपने अनुयायियों के दृष्टिकोण को समझे, बल्कि उनकी भावनाओं से जुड़ कर उन्हें भी महत्त्व दे ।
2. भरोसा रखे: वह अनुयायियों के साथ तालमेल बनाते हुए, आपसी विश्वास और सम्मान का रिश्ता विकसित करे।
3. सलाह और सुझाव दे: वह न केवल अपने अनुयायियों को सिखाए, बल्कि उन्हें काम से संबंधित और व्यक्तिगत मुद्दों में भी समर्थन और मार्गदर्शन दे।
4. प्रतिक्रिया/नए विचारों/मुद्दों के लिए ग्रहणशील रहे: वह एक ऐसा माहौल प्रदान करे, जहां सभी व्यक्ति खुल कर सुझाव दे सकें, नवाचार को अपनाए और व्यक्तिगत स्तर की समस्याओं को भी एक साथ सुलझा सके।
5. विकास के लिए प्रतिबद्धता रखे: वह अपने अनुयायियों के न सिर्फ नौकरी संबंधित, बल्कि व्यक्तिगत विकास के लिए भी प्रतिबद्ध हो।
1. सहानुभूति रखे: वह न सिर्फ अपने अनुयायियों के दृष्टिकोण को समझे, बल्कि उनकी भावनाओं से जुड़ कर उन्हें भी महत्त्व दे ।
2. भरोसा रखे: वह अनुयायियों के साथ तालमेल बनाते हुए, आपसी विश्वास और सम्मान का रिश्ता विकसित करे।
3. सलाह और सुझाव दे: वह न केवल अपने अनुयायियों को सिखाए, बल्कि उन्हें काम से संबंधित और व्यक्तिगत मुद्दों में भी समर्थन और मार्गदर्शन दे।
4. प्रतिक्रिया/नए विचारों/मुद्दों के लिए ग्रहणशील रहे: वह एक ऐसा माहौल प्रदान करे, जहां सभी व्यक्ति खुल कर सुझाव दे सकें, नवाचार को अपनाए और व्यक्तिगत स्तर की समस्याओं को भी एक साथ सुलझा सके।
5. विकास के लिए प्रतिबद्धता रखे: वह अपने अनुयायियों के न सिर्फ नौकरी संबंधित, बल्कि व्यक्तिगत विकास के लिए भी प्रतिबद्ध हो।
यद्यपि ‘सर्वेंट लीडरशिप’ अनुयायियों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करती है, लेकिन हो सकता है उसके ऐसे भी विचार हों जो अन्य को पसंद न आएं और उसे नकारात्मक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़े। उसे अनुयायियों के लाभ के लिए काम करने की आवश्यकता है, पर यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इसमें संगठन के दृष्टिकोण और लक्ष्यों का नुकसान न हो। इस सिद्धांत के कुछ पहलू जीवन की हर स्थिति में नेतृत्व की शैली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लागू किए जा सकते हैं।