Leadership: एक लीडर अनंत मानसिकता को प्रभावशीलता और रणनीतिक क्षमता बढ़ाने के लिए नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं पर लागू कर सकता है। ऐसा करके एक लीडर न सिर्फ स्वयं, अपितु अपने अधीनस्थों, सहकर्मियों और संगठन की समग्र प्रगति सुनिश्चित कर सकता है।
प्रो. हिमांशु राय(निदेशक, आइआइएम इंदौर)
हम यह जानते हैं कि किस प्रकार ‘अनंत मानसिकता’ एक लीडर को अपने संगठन, उसके सदस्यों और सभी कर्मियों को एकजुट कर, एक लक्ष्य और दिशा की ओर बढऩे के लिए प्रेरित औत प्रोत्साहित कर सकती है। हमने साइमन सिनेक के विचारों को भी समझा और ‘अनंत’ मानसिकता के पांच आवश्यक तत्वों को सूचीबद्ध भी किया जो सफलता के लिए अतिआवश्यक हैं। उन गुणों पर भी चर्चा की जो एक प्रबंधक और अग्रणी को सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती है और इस ‘अनंत खेल’ में शामिल होने और अपनी जगह बनाने में मदद करती है।
एक लीडर इस अनंत मानसिकता को प्रभावशीलता और रणनीतिक क्षमता बढ़ाने के लिए नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं पर लागू कर सकता है। ऐसा करके एक लीडर न सिर्फ स्वयं, अपितु अपने अधीनस्थों, सहकर्मियों और संगठन की समग्र प्रगति सुनिश्चित कर सकता है। आज हम जानते हैं ऐसे ही कुछ विशेषताएं जिनकी मदद से इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में एक प्रमुख अपने संगठन में नयी संस्कृति को विकसित करते हुए सफलता की ओर बढ़ सकता है –
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लगातार तकनीकी आधुनिकता वाले, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और पैटर्न रिकग्निशन के इस युग में, प्रतिस्पर्धात्मक लाभ आने वाले रुझानों का अनुमान लगाने की क्षमता से प्राप्त होता है। लेकिन एक ‘अनंत खिलाड़ी’, यानी प्रबंधक, प्रमुख या लीडर, इन प्रवृत्तियों से परे सोचता है और आवश्यक रुझानों की पहचान करता है।
वह बदलती वास्तविकताओं के बीच न केवल भविष्य की प्रवृत्ति, बल्कि उद्योग और अर्थव्यवस्था के भविष्य का अनुमान लगाने के लिए उद्योग के रुझान में वृद्धि और गिरावट की शैली भी समझता है। यह बेहतर दीर्घकालिक रणनीति बनाने में मदद करता है।
प्रदर्शन मापने के बेहतर मापदंड
‘अनंत मानसिकता’ वाले लीडर को आभास होता है कि प्रदर्शन माप और मूल्यांकन का बेहतर तरीका एक प्रणाली या तंत्र के विकास में एक कर्मचारी की गलतियों और लक्ष्यों को प्राप्त करने से हुई चूक के बजाए उनके योगदान और प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित करना है और उन्हें प्रोत्साहित करना है, ताकि उनके प्रदर्शन में स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
इसी तरह, लीडर स्वयं न केवल रणनीतिक लाभ को देखते हुए, बल्कि दृष्टि की दिशा में हुई प्रगति के स्तर से भी अपनी प्रभावशीलता का मूल्यांकन कर सकते हैं।
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एक ‘अनंत मानसिकता’ के साथ लीडरों को संसाधनों और लाभ के बीच संतुलन करने की समझ मिलती है। उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि मुनाफे अल्पावधि में फायदेमंद हैं, जबकि संबंध विकसित करना दीर्घकालिक दृष्टि की प्राप्ति की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
एक ‘अनंत मानसिकता’ और बढ़ती परिपक्वता के साथ प्रबंधकों को एहसास होता है कि वे एक प्रमुख अधिकारी नहीं, अपितु मुख्य दूरदर्शी अधिकारी की भूमिका निभाते हैं। यह संगठन को समान दृष्टि और लक्ष्य देता है ओर एक सफल और ‘अनंत क्षमताओं’ वाले प्रबंधक को अन्य से अलग करता है।
वे ये समझते हैं कि मुनाफे और सामरिक लाभ प्राथमिकता सूची में बाद में आते हैं। जाहिर है कि लोग प्रबंधित होना चाहें या न चाहें, लेकिन सफल नेतृत्व अवश्य चाहते हैं, और एक सक्षम और अनंत मानसिकता वाले लीडर के साथ काम करना चाहते हैं।
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