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अंगदान की मुहिम में तेजी से ही मिलेगा जीवनदान

अच्छा तो यह हो कि स्कूली शिक्षा के स्तर पर ही बच्चों को अंगदान की जरूरत और इसके महत्त्व की जानकारी दी जाए। ओडिशा व तमिलनाडु जैसी पहल की जरूरत देश भर में है।

Mar 07, 2024 / 09:42 pm

Gyan Chand Patni

अंगदान की मुहिम में तेजी से ही मिलेगा जीवनदान

अंगदान की मुहिम में तेजी से ही मिलेगा जीवनदान

अंगदान का महत्त्व रेल हादसे में अपने दोनों हाथ गवां चुके दिल्ली के पेंटर से ज्यादा कौन समझ पाएगा? इसे चिकित्सा विज्ञान का करिश्मा ही कहा जाएगा जिसमें हैंड ट्रांसप्लांट के जरिए इस पेंटर को दोनों हाथ फिर से मिल गए हैं। निश्चय ही इससे उसका भावी जीवन सुगम हो जाएगा। इसके पीछे ब्रेन डेड घोषित हो चुकी वह महिला है, जिसके अंगदान ने एक साथ चार मरीजों को नई जिंदगी प्रदान की। इस घटनाक्रम ने यह भी साफ कर दिया है कि अंगदान की मुहिम को और तेज किया जाए तो प्रतीक्षा कर रहे हजारों मरीजों की न केवल जान बचाई जा सकती है बल्कि उनके भावी जीवन की राह सुगम करने का मार्ग भी प्रशस्त हो सकता है। लेकिन अंगदान को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां भी हैं, जिन्हें दूर किए बिना इस मुहिम को गति देना आसान नहीं लगता।
अभी तो स्थिति यह है कि औसतन प्रति दस लाख लोगों में से सिर्फ एक ही अंगदाताओं की सूची में है, जबकि दूसरी ओर अंग प्रत्यारोपण की चाह रखने वाले मरीजों में हर आठवें मिनट में एक व्यक्ति जुड़ रहा है। ऐसे में ब्रेन डेड घोषित हो चुके मरीजों के परिजनों को इस बात को लेकर प्रेरित करना भी जरूरी हो जाता है कि उनके प्रियजनों के न रहने पर भी उनके अंग किसी के काम आएंगे। किसी को किडनी की जरूरत है तो किसी को लिवर की तो किसी को कॉर्निया की। पिछले दिनों ही अंगदान को बढ़ावा देने के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए ओडिशा सरकार ने फैसला किया था कि ओडिशा में अंगदान करने वालों का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से किया जाएगा। तमिलनाडु में पहले ही सरकार ने इस तरह का प्रावधान कर रखा है। लोगों को भावनात्मक रूप से इस मुहिम से जोडऩे का यह प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा। सही मायने में ऐसे कदमों का स्वागत ही किया जाना चाहिए जिससे अंगदान करने वाले के परिजन सम्मान और गर्व महसूस कर सकें।
अच्छा तो यह हो कि स्कूली शिक्षा के स्तर पर ही बच्चों को अंगदान की जरूरत और इसके महत्त्व की जानकारी दी जाए। ओडिशा व तमिलनाडु जैसी पहल की जरूरत देश भर में है। अंगदान को प्रोत्साहित करने को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर समग्र नीति बनाई जाए। इस नीति में अंगदान का संकल्प करने वालों को भी सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इस मुहिम को इस चिंता से भी जोडऩा होगा कि अंगदान की प्रतीक्षा में हर रोज मरने वालों का औसत 17 जनों का है। हो सकता है कि चिकित्सा विज्ञान और प्रगति कर ले, लेकिन तब तक अंग के जरूरतमंदों का जीवन बचाने की मुहिम में तेजी जरूरी है।

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