सनातन-शास्त्र कथन है कि भवरोग नाशक औषधि है – सद््िवचार। अध्यात्म जीवन निस्वार्थ होता है। आध्यात्मिक विचारों के अभाव में व्यक्ति पथ-भ्रष्ट हो जाता है। सांसारिक ज्ञान से अहंकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान से विनम्रता आती है।
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