क्या बताते हैं लक्षणों पर अध्ययन-
लान्सेंट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, चीनी शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के 12 माह बाद कोरोना के हल्के लक्षणों वाले मरीजों में से 20 से 30 प्रतिशत और गंभीर मरीजों में 54 प्रतिशत अब तक फेफड़ों से संबंधित तकलीफों से जूझ रहे हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अध्ययन में पाया कि कोविड-19 पीडि़तों में डायबिटीज और मस्तिष्क विकार के रोगी अधिक सामने आ रहे हैं, बजाय उनके जिन्हें कोविड नहीं हुआ।
क्या लॉन्ग कोविड से लोग उबरते हैं?
लॉन्ग कोविड के कई लक्षण समय के साथ खत्म हो जाते हैं, भले ही शुरुआत में कितना भी गंभीर संक्रमण हुआ हो। संक्रमण से उबरने के छह माह बाद यदि कम से कम एक गंभीर लक्षण वाले मरीजों की संख्या 68 प्रतिशत थी, तो 12 माह होते-होते यह घट कर 49 प्रतिशत रह गई। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लॉन्ग कोविड के लक्षण समय के साथ बदल सकते हैं और शुरुआती सुधार दिखने के बाद फिर लौट भी सकते हैं।
वैक्सीन कितनी कारगर?
अध्ययन बताते हैं कि लॉन्ग कोविड से पीडि़त मरीजों ने वैक्सीन लगाने के बाद अपनी हालत में सुधार महसूस किया। अमरीका के ‘सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ के अनुसार, पोस्ट कोविड स्थितियों में वैक्सीन कितनी कारगर है, इस पर अभी और अध्ययन करने की जरूरत है।