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ऑनलाइन क्लास को बनाएं रोचक

locationनई दिल्लीPublished: Jul 28, 2020 02:09:44 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

कोरोना ने भले ही इन दिनों बच्चों को घरों में कैद रहने के लिए मजबूर कर दिया है। लेकिन बच्चे अपनी रचनात्मकता से यह साबित करने में जुटे हैं कि न तो उनकी दुनिया थमने वाली है और न ही वे रुकने वाले हैं ।

online class
डॉ.राजेन्द्र मोहन शर्मा, शिक्षाविद् एवं साहित्यकार

हम सब जानते हैं कि ऑनलाइन क्लास निश्चित ही लाइव क्लास का विकल्प नहीं बन सकती। लेकिन किशोर उम्र के बच्चों में अपरिमित कल्पना शक्ति होती है सो वे हर समस्या का सटीक समाधान खोज ही लेते हैं । आशय स्पष्ट है ई लर्निंग क्लास में जब बोरियत होने लगे तो विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों से बात करके उसे रोचक आनंददाई और रुचि पूर्ण बनाने में जुट जाना चाहिए । आने वाला समय ना जाने और कितना चुनौतियों से भरा होगा । जब किशोर उम्र के बच्चों पर सीखने का दबाव पड़ता है तो वे खुद ही अपने लिए रास्ता बनाने में जुट जाते हैं । आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि उन पर विश्वास करें उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे नई दुनिया के नए मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं ।

ऐसा एक उदाहरण बताता है कि किस तरह से बोरियत महसूस करने की जगह आनलाइन क्लास को रोचक बनाया जा सकता है । किस्सा देहरादून के ब्राइटलैण्ड स्कूल के कक्षा 9 के किशोर विद्यार्थियों का है— इन बच्चों को हिंदी की पुस्तक में लेखक सुदर्शन का एक पाठ” बात अठन्नी की” टीचर ने पढ़ाया । वास्तव में नए प्रयोग करने की अदम्य इच्छा बच्चों के साथ ही जन्म लेती है । ई क्लास खत्म होते ही किशोर उम्र के विद्यार्थी केशव ने अपने साथियों के साथ चैटिंग की और प्रस्ताव रखा कि क्यों नहीं इस कहानी पर हम ऑनलाइन एक नाटक तैयार करें । आपसी बातचीत के बाद उनकी आपस में बात जम गई, शिक्षक से अनुमति ली नाटक के पात्रों का चयन हुआ । सानिध्य ने बताया कि पिछले दिनों ही अखबार में किसी अधिकारी को रिश्वत लेते पकड़े जाने की खबर पढ़ने के बाद उसके मन में उसके विचार आया कि हमारा पाठ भी तो लगभग ऐसा ही है ।
क्यों नहीं हम इसे नाटक के जरिए अपने स्कूल के लिए तैयार करें । बस फिर क्या था इन विद्यार्थियों ने डायलॉग राइटिंग ,एक्टिंग, एडिटिंग और एंकरिंग जैसे अपने अपने काम और रोल निर्धारित किए । कहानी में मुख्य रूप से चार पात्र हैं जिसमें माधव,आदित्य ,जसराज और आदित्य भामरी ने रोल निभाए इनमें से एक इंजीनियर जो रिश्वतखोर है दूसरा उसका नौकर ,तीसरे जज साहब चौथा उनका चौकीदार । इंजीनियर और जज दोनों ही भ्रष्ट हैं यह बात इन के दोनों नौकरों को मालूम है । इंजीनियर साहब का नौकर बहुत गरीब है उपर से साहब उसे कई कई महिनों तक पगार भी नहीं देते इससे उसकी घरवाली काफी परेशान रहती है ।
एक दिन इंजीनियर साहब ने अपने नौकर को पांच रुपए का सामान लेने भेजा ।
आर्थिक परेशानी के कारण इनके नौकर ने अठन्नी का सामान कम लिया और इंजीनियर साहब को लाकर सामान पकड़ा दिया । शातिर इंजिनियर की आंखों ने कम माल को तुरंत पहचान लिया । उन्होंने अपने नौकर की शिकायत पुलिस थाने में कर दी पुलिस वाले नौकर को गिरफ्तार करके ले गए । मसला जज साहब के सामने पेश हुआ पता लगा इंजीनियर साहब के नौकर ने अठन्नी बचाकर जज साहब के नौकर को अपने बच्चों को सामान पहुंचाने के लिए दे दी थी ।

कोर्ट में दोनों की पेशी हुई इंजीनियर के नौकर ने तुरंत चोरी की बात पर हां भर ली । जज के नौकर ने सिर्फ इतना ही कहा यह रकम उससे काफी छोटी थी जो कल रात को जज साहब को लिफाफे में बंद करके एक आदमी दे कर गया था । जज साहब ने इंजीनियर के नौकर को 6 महीने की सजा सुनाई और उन्होने अपने नौकर को भी नौकरी से निकाल दिया ।

चारों किशोर उम्र के विद्यार्थियों ने जिस खूबसूरती के साथ ऑनलाइन यह नाटक तैयार किया और के.सानिध्य ने उसमें जैसी एंकरिंग ,एडिटिंग और प्रेजेंटेशन दिया वह सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया और स्कूल प्रशासन की ओर से इन किशोर विद्यार्थियों को खूब सराहना मिली ।

आने वाले 15 अगस्त के पर जबकि अधिकांश स्कूल कालेज बंद रहेंगे। इस अवसर पर किशोर विद्यार्थियों और शिक्षकों ने एक साथ मिलकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर देशभक्ति के तरानों से लेकर नाटक, एकांकी प्रस्तुत करने का काम आरंभ कर दिया है । यानी कोरोना भले ही इन बच्चों को घरों में कैद रहने के लिए विवश कर दे लेकिन इन किशोरावस्था ने सिद्ध कर दिया है कि न तो उनकी दुनिया थमने वाली है और न ही वे रुकने वाले हैं । पंद्रह अगस्त पर हमें इनके भाषण देने की कला के बहुत से नमूने ई प्लेटफार्म देखने सुनने को मिलेंगे । साथ में देशभक्ति से प्रेरित होकर अनेक वीर गाथाएं एवं नृत्य आदि का आनंद भी मिलने वाला है। हमारे अपने शहर जयपुर में भी अनेक बच्चे ऐसी तैयारियों में जुटे हैं । आइए हम सब मिलकर नए प्रयोग और नए विधान सीखने सिखाने मेंकिशोर उम्र के बच्चों की मदद करें और खुशहाल दुनिया बनाने में जुटकर ई लर्निगं को वरदान बनाने में जुटें ।
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