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आपकी बात, फीस वसूली के मामले में निजी स्कूलों का रवैया क्या उचित है?

Published: Nov 08, 2020 03:20:41 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात, फीस वसूली के मामले में निजी स्कूलों का रवैया क्या उचित है?

आपकी बात, फीस वसूली के मामले में निजी स्कूलों का रवैया क्या उचित है?

स्कूल संचालक दबाव न बनाएं
जिन स्कूलों का संचालन बरसों से हो रहा है, उनके पास अपने स्टाफ को देने के लिए वेतन ना होना आश्चर्य की बात है। हां, जिन स्कूलों का संचालन हाल ही के वर्षों में हुआ है, उनके साथ तो यह समस्या आ सकती है। भारी फीस वसूलने वाले स्कूल संचालकों का यह रवैया ठीक नहीं है। महामारी की मार अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ी है। अत: फीस वसूली के लिए दबाव न बनाएं।
-एकता शर्मा, छत्तीसगढ़,गरियाबंद
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निजी स्कूलों के लिए राहत पैकेज की जरूरत
निजी स्कूलों की आय का साधन फीस ही ही है। उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिलती है। अभी उनको अपने शिक्षकों का वेतन देना है। इसलिए निजी स्कूलों के संचालकों के नजरिए से देखा जाए तो फीस वसूली में गलत कुछ नहीं। दूसरी तरफ अभिभावकों की अपनी समस्याएं हैं। कई की नौकरियां चली गईं, तो कई का वेतन कम हो गया। व्यापार ठप हो गया। घर चलाने के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसी हालत में बच्चों की फीस कैसे जमा करवाएंगे? इसलिए सरकार को निजी स्कूलों के लिए राहत पैकेज जारी करना चाहिए। अभिभावकों को फीस में रियायत मिलनी चाहिए।
-प्रफुल्ल कुशवाह, गुना, एमपी
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मुश्किल में हैं अभिभावक
फीस वसूली के मामले में निजी स्कूलों का रवैया उचित नहीं है, क्योंकि इससे गरीब परिवार के बच्चों के माता-पिता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कोरोनाकाल में ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं।
-डॉ. अशोक, पटना
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स्कूल बंद हैं, तो फीस क्यों?
कोरोनाकाल मे सभी की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा है। फिर स्कूल ही चालू नहीं हंै तो फीस किस बात की?अभिभावक के बिना बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकते हंै। जब अभिभावक ही मेहनत कर रहे हैं, तो फीस किस बात की?
-उर्मिला जैन, भीम, राजसमन्द
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अनुचित रवैया
फीस वसूली के मामले में निजी स्कूल संचालकों का रवैया बिल्कुल उचित नहीं है, क्योंकि कोरोनाकाल में हर व्यक्ति को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। ऐसे हालात में निजी स्कूल संचालक बच्चों की फीस में कटौती करें।
-प्रदीप धाकड़, शिवपुरी, मप्र
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सरकार करे निजी विद्यालयों की मदद
फीस वसूली के मामले में निजी स्कूलों का रवैया उचित नहीं है, लेकिन निजी स्कूलों की मदद के लिए सरकार को आगे आना चाहिए। विद्यार्थियों से शुल्क वसूल करना उचित नहीं है। स्टाफ सदस्यों के वेतन इत्यादि खर्च के लिए राज्य सरकार को अनुदान देना चाहिए।
-कुमेर मावई, नयावास
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त्याग निजी विद्यालय ही करें?
निजी विद्यालय 8 माह से आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे है। स्कूल कैसे चलेंगे , अभिभावक कैसे फीस देंगें, इस तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। क्या सारा त्याग निजी विद्यालय ही करें? नीति निर्धारकों और प्रशासकों की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं? सरकारी स्कूलों के सभी बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर रहे। फिर बिना काम के सरकारी शिक्षकों को वेतन क्यों दिया जा रहा है?
-मुकेश वैष्णव, राजसमन्द
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निजी विद्यालयों के संचालकों की मनमानी
स्कूल फीस मसले पर निजी स्कूलों का रवैया अनुचित है। स्कूल संचालकों का मकसद अभिभावकों की आवाज को दबाना है। कोरोना आपदा में फीस माफी की लड़ाई ने स्कूल संचालकों की पोल खोलकर रख दी है। अब स्कूल संचालक ना केवल अभिभावकों का अपमान कर रहे हंै, बल्कि खुलेआम कानून की भी अनदेखी कर रहे हैं। सरकार की चुप्पी ने निजी स्कूल स्कूलों के हौसले बढ़े हुए हैं।
-अभिषेक जैन बिट्टू, जयपुर
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घर चलाना भी मुश्किल
महामारी के कारण का धंधे प्रभावित हुए हैं। लाखों लोग ऐसे हैं जिनके लिए घर चलाना भी मुश्किल है। उन पर बच्चों के स्कूलों की फीस जमा कराने का दबाव पूरी तरह से अनुचित और निंदनीय है। ऑनलाइन क्लास के नाम पर पूरा शुल्क कैसे वसूला जा सकता है?
-शिवजीत परमार, धौलपुर
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स्कूल व्यवस्था का निजीकरण घातक
इस कठिन दौर में निजी स्कूलों ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा देने की प्रक्रिया, मात्र एक व्यवसाय बन कर रह गई है। ऑनलाइन अध्ययन प्रक्रिया उच्च कक्षा तक तो ठीक है लेकिन प्राइमरी व प्री प्राइमरी के बच्चे इससे कितने लाभान्वित हो रहे हैं, इस पर विचार करने के उपरांत ही स्कूल संचालकों को फीस की मांग करनी चाहिए। स्कूल व्यवस्था का निजीकरण घातक साबित हुआ है।
– निभा झा, जामनगर गुजरात
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फीस जमा कराना जरूरी
निजी विद्यालयों के शिक्षकों को वेतन तब ही मिलता है, जब बच्चे फीस जमा करवाते हैं। फीस जमा नहीं कराने पर उनको वेतन कहां से मिलेगा? हां, अत्यधिक कमजोर आर्थिक स्थिति वाले विद्यार्थियों से फीस ना वसूली जाए या फिर उन्हें थोड़ी बहुत छूट देनी चाहिए ।
-रमेश सारस्वत, कालू, बीकानेर
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स्कूलों की श्रेणी तय की जाए
बेहतर तो यह है कि स्कूलों की श्रेणी तय कर दी जाए। उसके हिसाब से ही उन पर नियम-कायदे कानून लागू किए जाएं। छोटे स्कूलों को आर्थिक पैकेज देकर उनको जिंदा रखें। ये छोटे स्कूल भी शिक्षा का प्रसार करने और बेरोजगारी दूर करने में सरकार की मदद कर रहे हैं।
-सीमा शर्मा, जयपुर
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फीस में रियायत जरूरी
निजी स्कूलों से अभिभावकों की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा होती हैं। कोरोनाकाल में भी ऑनलाइन कक्षाएं चलाकर शिक्षा प्रदान की जा रही है। शिक्षकों को वेतन देना होता है। दूसरा पहलू यह है कि अभिभावकों की हालत खराब है। इसलिए फीस में रियायत जरूरी है।
-हर्षित जैन, सावर, अजमेर
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स्कूल व्यापार के केंद्र नहीं
किसी भी समस्या का हल आपसी तालमेल से निकाला जा सकता है। इसलिए निजी स्कूल संचालकों को वर्तमान हालात को देखते हुए कुछ ठोस एवं नीतिगत फैसले लेने होंगे। शिक्षा का पवित्र मंदिर व्यापार का केेंद्र नहीं होना चाहिए।
-महेश आचार्य, नागौर
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फीस में कटौती जरूरी
जब मार्च महीने से स्कूल आज तक खुले ही नहीं फिर फीस क्यों मांगी जा रही है? जब स्कूलों में अध्ययन कार्य हुआ ही नहीं तो फिर अभिभावक फीस क्यों दें? लॉकडाउन में सभी के व्यापार ठप हो गए। ऐसे में निजी स्कूलों को तत्परता दिखाते हुऐ फीस माफ करना चाहिए अथवा फीस में कटौती करनी चाहिए।
-नरसाराम फलवाडिया, नया बाजार, सुजानगढ़
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