scriptअस्पताल माफिया से भी मिले मुक्ति | medical mafia also needed to be hammered | Patrika News

अस्पताल माफिया से भी मिले मुक्ति

locationइंदौरPublished: Jan 04, 2020 01:43:33 am

Submitted by:

Hari Om Panjwani

आज पूरे प्रदेश में माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। आमजन के मानस को राहत देने के लिहाज से चल रही इस कार्रवाई की प्रशंसा भी हो रही है। ऐसी ही कार्रवाई किसी अलग क्षेत्र में भी जरूरी है। चिकित्सा के क्षेत्र में। इस क्षेत्र में भी माफियाओं की तरह कुछ काम हो रहे हैं। बीमार के इलाज के नाम पर खुला खेलने का काम। सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों में भी ऐसा हो रहा है।

guru nank hospital of ujjain, where uterus removing operation were done secretly and on large scale

उज्जैन का गुरुनानक अस्पताल, जहां महिलाओं की बच्चेदानी निकालने का खेल व्यापक स्तर पर खेला गया

प्रसंगवश. इंदौर. आज पूरे प्रदेश में माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। आमजन के मानस को राहत देने के लिहाज से चल रही इस कार्रवाई की प्रशंसा भी हो रही है। ऐसी ही कार्रवाई किसी अलग क्षेत्र में भी जरूरी है। चिकित्सा के क्षेत्र में। इस क्षेत्र में भी माफियाओं की तरह कुछ काम हो रहे हैं। बीमार के इलाज के नाम पर खुला खेलने का काम। सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों में भी ऐसा हो रहा है। उज्जैन का गुरुनानक अस्पताल इसका उदाहरण है, जहां सरकार की आयुष्मान योजना के तहत पांच सौ से अधिक महिलाओं की बच्चेदानी का ऑपरेशन होना बताया गया।
जांच में साफ हो पाएगा कि अस्पताल इस तरह का खेल कैसे खेल गए, लेकिन अभी यह साफ है कि यदि अस्पताल ने ऑपरेशन किए भी हैं तो बेतहाशा किए हैं और सिर्फ और सिर्फ सरकार से पैसे लेने के लिए किए हैं। इसका यह भी मतलब है कि जिनके ऑपरेशन किए गए हैं, उनमें ज्यादा की बच्चेदानियां निकालने की जरूरत नहीं होगी। समझा जा सकता है कि अस्पताल ने पैसे कूटने के लिए कितनी महिलाओं से उनका महत्वपूर्ण अंग ले लिया और उन्हें जिंदगी भर इसके दुष्परिणाम भोगने के लिए छोड़ दिया।
यह माफियागिरी ही है, जिसके लिए कर्ताधर्ताओं को हमेशा के लिए जेल की सींखचों के पीछे भेज देना चाहिए। सरकार के उन अधिकारियों को भी दंडित करना चाहिए जिन पर इस योजना के सुचारू संचालन की देखरेख का जिम्मा है। उनकी आंख इतनी देर से कैसे खुली, उनसे इसका जवाब लेना चाहिए। थोक के भाव बच्चेदानियां निकालने का उदाहरण एक नजीर मात्र है, यह समझने के लिए कि इन अस्पतालों में पैसे लूटने के लिए क्या-क्या नहीं होता होगा।
कई बड़े और नामी अस्पतालों में रोजाना हजारों लोग ठगे जाते हैं, कभी जांच के नाम पर, कभी दवा और कभी ऑपरेशन के नाम पर। एक बार अस्पताल में घुसे तो लाखों रुपए का बिल फाड़ दिया जाता है। यदि कोई मरीज किसी योजना अथवा बीमा से संबंधित नहीं है तो बिना बिल भुगतान के लाश भी उनके परिजन के हवाले नहीं की जाती है। सरकार को इन सभी पहलुओं को देखकर चिकित्सा को अन्य क्षेत्रों की तरह विसंगतियों से मुक्त करना चाहिए।
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