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कांग्रेस के लिए आईना, सबक लेकर सुधार करे

locationनई दिल्लीPublished: Aug 12, 2020 05:07:08 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

‘बचपना छोड़ो’ पर प्रतिक्रियाएं

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राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस की कमजोरी और भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरे को इंगित करते पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी के अग्रलेख ‘बचपना छोड़ोÓ को पाठकों ने कांग्रेस के लिए आईना बताया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को इससे सबक लेकर सुधार करना चाहिए। पाठकों की प्रतिक्रियाएं विस्तार से
दलों की समझ उजागर
पत्रिका में गुलाब कोठारी का अग्रलेख राजनीतिक दलों की समझ को बताने वाला है। देखा जाए तो राजनीतिक दल देश की उतनी चिंता नहीं करते, जितनी खुद की परवाह करते हैं। लेख यह भी स्पष्ट कर रहा है कि किसी भी घटनाक्रम के परिणाम को राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए, न कि दलगत परिप्रेक्ष्य में।
निर्मल चंद निर्मल, वरिष्ठ साहित्यकार, सागर
मजबूत विपक्ष आवश्यक
लोकतंत्र की मजबूती के लिए विपक्ष की महती भूमिका होती है, लेकिन वर्तमान हालात में कांग्रेस सहित विपक्षी दल कमजोर साबित हो रहे हैं। इसलिए लोकतंत्र खतरे में है। जब तक कांग्रेस का नेतृत्व नहीं बदलेगा, देश को सशक्त विपक्ष देने लायक नहीं होगा। गांधी परिवार को भी आत्ममंथन की जरूरत है।
नीरज जोशी, साहित्यकार, खरगोन
देश भुगत रहा खमियाजा
मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन की घटना इतनी पुरानी नहीं थी कि राजस्थान सरकार सतर्क न हो सके। इसके बावजूद जो हालात बने, वह जगजाहिर है। खुद को बचाने की कोशिश में विपक्ष दिनों दिन कमजोर होता जा रहा है। इसका खमियाजा सिर्फ कांग्रेस नहीं, बल्कि देश की जनता भी भुगत रही है।
डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, प्रोफेसर, इंदौर
सिर्फ जनहित हो ध्येय
राजनीति में अपना पराया कुछ नहीं होता, सिर्फ जनहित होता है। कांग्रेस के नेताओं को यह बात समझनी होगी। कोठारी ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को आईना दिखाया है। उन्हें इससे सीख लेनी होगा, वरना नुकसान पार्टी का होगा।
आबिद फारुकी, प्रेसिडेंट, एयर कनेक्टिविटी फॉर भोपाल डेवलपमेंट ग्रुप, भोपाल
शीर्ष नेतृत्व की कमजोरी
गुलाब कोठारी ने सही लिखा है कि कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व की कमजोरी व पुरानी और नई पीढ़ी के बीच संघर्ष से खुद ही खत्म हो रहे हैं। मध्यप्रदेश में तो इस संघर्ष में सरकार तक चली गई। राजस्थान में सरकार फिलहाल बची है, लेकिन खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है। विपक्ष सशक्त नेतृत्व नहीं देगा, तब तक लोकतंत्र अपने स्वाभाविक स्वरूप में नहीं आ पाएगा।
धीरेन्द्र नायक, भाजपा नेता, सागर
स्वार्थपरक राजनीति
आज राजनीति नेता द्वारा सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए की जा रही है। नेताओं का लोगों से कोई सरोकार नहीं है। जनता के लिए कोई काम नहीं करना चाहता। नेता अपने दल को मिटाने में लगे हुए हैं। देश में इतनी बड़ी महामारी है। इस पर भी नेताओं का ध्यान नहीं है। लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है और नेता अपनी कुर्सी बचाने में ही लगे हुए हैं।
संजय साकरे, व्यवसायी, बैतूल

आंतरिक लोकतंत्र मजबूत करने की जरूरत
अग्रलेख में आज के दौर का बहुत ही ज़रूरी सवाल लोकतंत्र को बनाए रखने पर किया है और इस कड़ी में विपक्ष के आंतरिक लोकतंत्र, पीढ़ीगत अंतर और युवाओं को नेतृत्व से दूर रखना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे सामने रखे हैं। ज़रूरत है हर वह संस्था या प्रक्रिया जो लोकतंत्र को मज़बूत करे, सवाल उठाए, उसके आंतरिक लोकतंत्र को मज़बूत करने और उसमे युवाओं को नेतृत्व दिए जाने की।
विमल जाट, सामाजिक कार्यकर्ता, हरदा
युवा नेतृत्व को भी मौका मिले
समय के साथ हर पार्टी में युवा नेतृत्व को भी मौका मिलना चाहिए, लेकिन उससे पहले उन युवाओं को अपने वरिष्ठ लोगों से भी परामर्श लेना चाहिए। इससे आपस में कोई बुराई भलाई नहीं होगी और एक मजबूत सरकार जनता के लिए काम करेगी।
प्रदीप शर्मा, साहित्यकार, शिवपुरी

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