मलेशिया के सातवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले महातिर बिन मोहम्मद आज दुनिया के सबसे बुजुर्ग निर्वाचित नेता के रूप में सुर्खियों में हैं। उम्र 92 वर्ष है, पर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का उनका जज्बा उम्र के बंधन से आजाद है। यही कारण है कि चुनाव जीतते ही उन्होंने कहा, ‘बहुत काम करना है… जितना जल्दी हो सके, इस अव्यवस्था से निपटना है, और इसका मतलब है कि आज ही।’
महातिर 70 साल से राजनीति में हैं। शुरुआत तब हुई, जब वह १९४६ में यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (यूएमएनओ) से जुड़े। डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद १९६४ में महातिर पहली बार संसद में पहुंचे। फिर 1981 में मलेशिया के चौथे प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए। महातिर के प्रधानमंत्री रहते मलेशिया ने आधुनिकीकरण और आर्थिक तरक्की के नए दौर में प्रवेश किया। इसी के चलते उन्हें मलेशिया में ‘आधुनिकीकरण का पिता’ भी कहा जाता है। बतौर प्रधानमंत्री महातिर ने हमेशा तीसरी दुनिया के विकास की वकालत की।
एक ओर देश ने तरक्की की तो दूसरी ओर आतंरिक सुरक्षा अधिनियम लागू किए जाने से विवादों के बादल भी मंडराए। पश्चिमी देशों के हितों और आर्थिक नीतियों के प्रति रुख के चलते संबंध बिगड़े। १एमडीबी घोटाले के बावजूद निवर्तमान प्रधानमंत्री नजीब रजक के समर्थन के चलते उन्होंने 2016 में यूएमएनओ छोडक़र अपनी पार्टी बनाई। विपक्ष को एकजुट कर सत्ता में छह दशक की बारीसन नेशनल गठबंधन की पारी पर रोक लगाई।
२०१० में प्रकाशित महातिर बिन मोहम्मद की जीवनी में पत्रकार बैरी वेन लिखते हैं – डॉ. महातिर ने मलेशिया के लोगों को राष्ट्रीय पहचान, गर्व और आत्मविश्वास की वह अनुभूति दी, जो पहले नहीं थी। उन्होंने मलेशिया को दुनिया के नक्शे पर उभारा और ज्यादातर मलेशियाई इससे खुश थे… (हालांकि) भविष्य में मलेशिया को घेरने वाली समस्याओं, धीरे-धीरे बढ़ते इस्लामीकरण से लेकर भ्रष्टाचार और असमानता तक, की जिम्मेदारी से वह बच नहीं पाएंगे। क्योंकि, 22 साल के दौरान उनकी शासन की व्यक्तिगत शैली के कारण राजनीतिक-प्रशासनिक प्रणाली कमजोर होती गई।
दूसरी ओर, महातिर के समकालीन और सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री ‘इमेरिटस सीनियर मिनिस्टर’ गोह चोक टोंग कहते हैं, ‘अपने देश के लिए जो उन्हें गलत लगता है, उसे सही करने की अदम्य इच्छाशक्ति और ऊर्जा के लिए महातिर को सलाम। उन्होंने और उनके गठबंधन के सहयोगियों ने शानदार जीत दर्ज की है।’