चिप पर उद्योग जगत की निर्भरता को इससे समझा जा सकता है कि भारत में चिप की कमी ने ऑटो सेक्टर की कंपनी महिन्द्रा एंड महिन्द्रा को 39 हजार इकाइयों के अपने मासिक एसयूवी उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने से रोक दिया। इसी तरह भारत की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी का भी कहना है कि सेमीकंडक्टर चिप की कमी से अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में मारुति सुजुकी 46 हजार इकाइयों का उत्पादन नहीं कर सकी। इससे स्पष्ट है कि चिप की कमी भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर को महंगी पड़ रही है। जिस तरह प्रथम औद्योगिक क्रांति में जीवाश्म ईंधनों ने बड़ी भूमिका निभाई थी, उसी तरह चतुर्थ औद्योगिक क्रांति में सेमीकंडक्टर की बड़ी भूमिका होने वाली है। ऐसे में समस्त वैश्विक शक्तियां सेमीकंडक्टर पर प्रभुत्व स्थापित करना चाह रही हैं। हाल ही में चीनी वाणिज्य मंत्री ने जापान से चिप निर्यात प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह भी किया है। चीन के अनुसार, जापान का चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगाना अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और अपराध नियमों का गंभीर उल्लंघन है। जापान ने इसी वर्ष जनवरी में अमरीका और नीदरलैंड्स के साथ मिलकर चीन को कुछ चिप-मेकिंग उपकरणों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। इन प्रतिबंधों के कारण वर्तमान में वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला पर अमरीका, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे कुछ देशों का ही कब्जा है। वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर उत्पादन में ताइवान की हिस्सेदारी लगभग 63त्न है। भारत सहित विश्व के लगभग सभी देश इन्हीं देशों के माध्यम से सेमीकंडक्टर चिप संबंधी अपनी आवश्यकताएं पूरी करते हैं। यों तो चीन कई तरह के चिप बनाता है, पर अत्याधुनिक चिप के लिए वह अमरीका, जापान तथा नीदरलैंड्स जैसे देशों पर निर्भर है। इन देशों के चीन को चिप निर्यात पर प्रतिबंध के बाद, अब चीन इस क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है। चीनी सरकार ने अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-25) के लिए 1.4 ट्रिलियन यूएस डॉलर चिप उत्पादन के लिए आवंटित किए हैं।
सेमीकंडक्टर चिप की आपूर्ति को लेकर तमाम वैश्विक शक्तियां जिस तरीके से उलझ रही हैं, भारत के लिए भी जरूरी है कि वह चिप निर्माण अवसंरचना के लिहाज से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए। वर्ष 2023-24 के बजट में भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम विकसित करने के लिए 3000 करोड़ रुपए का गैर-नियोजित आंवटन किया है, जबकि इससे पहले दिसंबर 2021 में सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पहली बार 76 हजार करोड़ रुपए की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (पीएलआइ) स्कीम को मंजूरी दी गई थी। सेमीकंडक्टर चिप निर्माण जटिल और उच्च प्रौद्योगिकी गहन क्षेत्र है, जिसमें भारी पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, लंबी अवधि तथा प्रौद्योगिकी में होने वाले तीव्र परिवर्तन शामिल हैं। इसके लिए भारत सरकार को लघु अवधि योजना और दीर्घावधि योजना दोनों की जरूरत है। अमरीका और जापान के साथ भारत के मित्रवत संबंध हैं, इसलिए इस समय चिप आयात बढ़ाने से ऑटोमोबाइल सेक्टर को लक्ष्य प्राप्ति में मदद मिल सकती है। पर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए भारत के लिए बहुपक्षीय सहयोग समय की मांग है। इस संदर्भ में ‘क्वाड सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन इनिशिएटिव’ एक बेहतर कदम माना जा सकता है। सरकार अगर गंभीर हो तो देश में चिप क्षेत्र की विकास संभावनाओं में एक नया आयाम जुड़ सकता है।