यदि वह नकारात्मकता से भरे व्यक्ति के संपर्क में रहता है, तो यह तय है कि उसकी नकारात्मकता बढ़े बिना नहीं रहेगी और यदि सकारात्मक व्यक्ति के साथ रहता है, तो अनायास उसकी सकारात्मकता बढ़ जाती है। ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति जिन पांच व्यक्तियों के मध्य सबसे अधिक समय व्यतीत करता है, तो उसका स्वभाव उन सब का एवरेज हो जाता है।
(मुनिश्री प्रमाणसागरजी महाराज दिगंबर जैन साधु हैं)