कैकेयी की एक भूल के कारण ही अयोध्या के राजकुल पर जिस तरह का संकट आया था, क्या उसके बाद सामान्य परिवार में कैकेयी जैसी स्त्री जी सकती थी? क्या सामान्य स्त्रियां अपने परिवार में ऐसी किसी स्त्री का सम्मान करेंगी? नहीं। पर उस कुल की स्त्रियों ने कभी कैकेयी को प्रताडि़त नहीं किया, कभी उन्हें भला-बुरा नहीं कहा। कैकेयी को किसी ने दोषी नहीं कहा, न पुत्रवधुओं ने, न ही कौशल्या या सुमित्रा ने। यह मर्यादा पुरुषोत्तम के परिवार की स्त्रियों की मर्यादा थी। यह कर्तव्य निर्वहन का आदर्श है। विश्व इतिहास में ऐसा उदाहरण और कोई नहीं।
किसी गृहस्थ व्यक्ति के महान होने में उसके पूरे परिवार के सद्गुणों का योगदान होता है। जब पूरे परिवार के सत्कर्म इकट्ठे होते हैं, तो व्यक्ति देवत्व को प्राप्त करता है। भगवान श्रीराम के साथ भी यही हुआ था।