बात यह है कि हमें यूं ही हाथ पर हाथ धरे बैठ इंतजार नहीं करना चाहिए। संसद को द्विदलीय कोविड-19 आयोग गठित करना चाहिए ताकि विश्व को जवाब मिल सके कि कोविड-19 महामारी कैसे और कहां जन्मी और देश किसी भावी संकट से निपटने के लिए व्यापक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय रणनीति बनाए, ताकि हम सभी सुरक्षित रहें और उससे निपटने के लिए तैयार हों। जैसे हमने 9/11 के बाद एक स्वतंत्र आयोग गठित किया था, ठीक वैसे ही कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए एक द्विदलीय आयोग बनाना चाहिए।
इससे देश किसी भी भावी स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए आपातकालीन तैयारी, जवाबदेही और आत्मनिर्भरता की रणनीति बन सकेगा। सीधी सी बात यह है कि महामारी के हर चरण से यह सीखना जरूरी है कि हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते। आयोग का मकसद होगा कोविड-19 के लिए सरकार की तैयारी की जांच करना। हमारी तैयारियों में कई बार कुछ कमियां रह जाती हैं। जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी, वेंटिलेटरों की अनुपलब्धता और मरीजों की संख्या बढऩे पर अस्पतालों में जगह न मिलना।
इसी प्रकार, हमें इस महामारी के मूल के बारे में और अधिक जानना होगा। दो साल पहले चीन में पहली बार यह महामारी फैली, तब सरकारी अधिकारियों ने जानकारी छिपाई और अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं किया। अमरीका को समान विचारधारा वाले अपने सहयोगियों के साथ मिलकर चीन सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वह पूर्ण पारदर्शिता के साथ अयोग को पूरी सूचनाएं जुटाने दे। साथ ही हमें महामारी की पूरी जांच करने की जरूरत है, ताकि यह पता लगा सके कि हमें कहां सुधार करना है।
त्वरित विकास से लेकर टीकाकरण और अमरीकी संसद के 2 ट्रिलियन डॉलर के देखभाल कानून तक से सीखने लेने की जरूरत है, जिससे महामारी के दौरान परिवारों, व्यापार, स्कूल संचालन, स्वास्थ्य तंत्र में सहायता मिली। मानव जीवन पर खतरे के अलावा महामारी से हुआ आर्थिक नुकसान विश्व जन स्वास्थ्य संकट के उच्च स्तरीय जोखिम को बताने के लिए काफी हैं।