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ओपिनियन

न आए फिर अमरीका पर पूरी तरह निर्भर होने की नौबत

अमरीका के सभी बड़े उद्योगपति जिनमें बिल गेट्स भी एक हैं, कोरोना वैक्सीन को पेटेंट नियमों से छूट दिए जाने के सख्त खिलाफ हैं।भारत-अमरीका संबंधों में नई मजबूती के कयास के विपरीत निरंतर घटनाक्रम से नहीं मिल रहे शुभ संकेत ।भारत के लिए सबक : सबसे पहले अपने नागरिकों को महामारी से दिलाए निजात ।

May 11, 2021 / 08:37 am

विकास गुप्ता

न आए फिर अमरीका पर पूरी तरह निर्भर होने की नौबत

न आए फिर अमरीका पर पूरी तरह निर्भर होने की नौबत

द्रोण यादव

अमरीका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के शपथ लेने के दिन से ही कयास लगाए जा रहे थे कि भारत और अमरीका के रिश्तों में नई मजबूती आएगी, लेकिन अमरीका के पाकिस्तान को लगातार समर्थन से और अफगानिस्तान से अपनी सेना की वापसी की वार्ता में भारत को शामिल न करने से परिस्थितियां विपरीत नजर आ रही हैं।

अमरीका की मानवाधिकार संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ ने हाल ही भारत की स्थिति अपने दस्तावेजों में ‘आजाद’ से ‘आंशिक रूप से आजाद’ की है। 9 अप्रेल को अमरीकी सेना के जहाज भारतीय जल सीमा के आर्थिक क्षेत्र में घुस आए थे, जिस पर सफाई मांगने पर जवाब मिला कि अमरीकी सेना ने कुछ गलत नहीं किया है। फिर अमरीका के भारत के प्रति रवैए में तल्खी का एक बड़ा उदाहरण कोरोना से जूझ रहे भारत की मदद में देरी के रूप में देखने को मिला। भारत-अमरीका संबंधों के लिए ये शुभ संकेत नहीं हैं।

भारत के कोरोना महामारी से त्रस्त होने के बावजूद, अमरीका ने वैक्सीन उत्पाद में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के निर्यात को बहुत देरी से मंज़ूरी दी जिसके कारण भारत के टीकाकरण में अड़चन पैदा हुई। दरअसल, वैक्सीन उत्पादन के लिए एक प्लांट को करीब 9000 तरह के कच्चे माल की आवश्यकता होती है, जिसका अमरीका सबसे बड़ा निर्यातक है। आज की तारीख में भारत इस संबंध में पूरी तरह अमरीका पर निर्भर है। ‘अमरीका फस्र्ट’ नीति के तहत भारत की जरूरतों को बिल्कुल नजरअंदाज कर अमरीका ने 21 जनवरी से ही इस निर्यात पर रोक लगा रखी थी।

अक्टूबर 2020 में भारत और अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन के समक्ष एक प्रस्ताव रखा था, जिसके मुताबिक कुछ चिकित्सा उपकरणों और वैक्सीन संबंधी ट्रेड शर्तों में छूट मांगी गई थी ताकि विकासशील देशों को कोविड से लडऩे में आसानी हो। इसके बावजूद, मार्च माह में राष्ट्रपति बाइडन ने फाइजर जैसी अन्य कंपनियों के साथ एक साझा बयान जारी कर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अब जबकि इन शर्तों में छूट देने का बयान अमरीका की ओर से आया भी है, तो अमरीका के सभी बड़े उद्योगपति जिनमें बिल गेट्स भी एक हैं, ऐसी छूट या वैक्सीन का फार्मूला साझा करने के सख्त खिलाफ हैं। अब जरूर अमरीका और अन्य देश भारत की ओर मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं, रूस, इटली, जर्मनी और फ्रांस जैसे 14 देशों से टेस्टिंग किट से लेकर ऑक्सीजन प्लांट जैसे कई मेडिकल उपकरण भारत भेजे जा रहे हैं, लेकिन मदद में देरी से भारत में अब तक कितने ही लोगों की जानें जा चुकी हैं।

ऐसे समय में भारत के पास सीखने के लिए दो अहम बातें हैं, एक यह कि भारत विषम परिस्थितियों के लिए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करने का प्रयास करे ताकि भविष्य में ऐसे मुश्किल हालात में भारत को अमरीका या किसी और देश पर पूर्णत: निर्भर होने की नौबत न आए। दूसरी बात यह कि अमरीका की ‘अमरीका फस्र्ट’ नीति को देखते हुए सबसे पहले भारत के नागरिकों को इस महामारी से निजात दिलाने पर ध्यान केंद्रित करे।

(लेखक अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं)

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