scriptनए वरदान | New boons of natures | Patrika News

नए वरदान

locationजयपुरPublished: May 15, 2020 11:53:27 am

Submitted by:

Gulab Kothari

कोरोना वायरस इतना डरावना निकला कि बड़े-बड़ों के अहंकार पिघल गए। पांवों के नीचे से धरती खिसकती दिखाई पडऩे लगी।

gulab kothari, Gulab Kothari Article, gulab kothari articles, hindi articles, Opinion, rajasthan patrika article, rajasthanpatrika articles, religion and spirituality, special article, work and life

लॉक डाउन के दौरान लेकसिटी उदयपुर के दृश्य

– गुलाब कोठारी

कोरोना वायरस इतना डरावना निकला कि बड़े-बड़ों के अहंकार पिघल गए। पांवों के नीचे से धरती खिसकती दिखाई पडऩे लगी। लोग कपड़ों में सिमट गए। अर्थात् उनमें जो मानवीय संवेदना मरने के कगार पर पहुंच गई, उसमें प्राण लौट आए। घर के लोगों में अपना प्रतिबिंब दिखाई देने लग गया। समय और प्रकृति से बड़ा शिक्षक कोई नहीं। प्रकृति ने कोरोना देकर हमारी हठधर्मिता को तोड़ दिया, वहीं सामाजिक जीवन में एक नया स्वरूप ला खड़ा किया। हां, कुछ तो असुर प्रकृति के लोग भी हर युग में रहते हैं। वे किसी को सुखी नहीं देखना चाहते।

खैर! कोरोना ने दो बड़े वरदान भी दे डाले। परिवारों का पुनर्गठन, सौहार्द का दरिया पैदा कर दिया। और समय से पहले हमको विश्व के विकासशील देशों की श्रेणी से निकालकर विकसित देशों में शामिल कर दिया। किसने सोचा था, दो-तीन माह पूर्व-कि हमारी दैनिक चर्या में आमूल-चूल परिवर्तन आ जाएगा। पहली बार देश में अनावश्यक वस्तुओं की खरीद पर अंकुश लगा। खाने-पीने-सोने के प्राकृतिक नियम लागू हो गए। हर क्षेत्र में मर्यादा बढ़ी दिखाई पड़ती है। घर के कार्यों में छोटे-बड़े सब की भागीदारी बढ़ी है।

नई तकनीक तो मानव जीवन पर हावी हो गई। टीवी, मोबाइल फोन, जूम जैसी तकनीक के सहारे गोष्ठियां आदि तो आम बात हो गई। दो महीनों में, बिना किसी प्रशिक्षण के, सारे कार्यालय घरों से संचालित हो गए। कहीं कोई गुणवत्ता में अथवा समय सीमा को लेकर दिक्कत नहीं आई। हम अचानक आधुनिक हो गए।

वर्क-फ्रॉम-होम के कई अन्य लाभ भी दिखाई दिए। कार्य की स्वतंत्रता सबसे बड़ा सुख। घर पर रहने का सुख, गाड़ी या अन्य वाहन का कोई खर्च नहीं, जिसके कारण पर्यावरण की शुद्धि में योगदान मिला। जीवन का समग्र विकास शुरू हुआ। दूसरी ओर कार्यालयों में सन्नाटा। हजारों-हजार की संख्या में भवन उपलब्ध हो गए। आज एक अवसर है जब राज्यों एवं केंद्र सरकार को यह निर्णय कर लेना चाहिए कि कोरोना रहे, ना रहे, तीस प्रतिशत कर्मचारी तो घर से ही कार्य करेंगे। निजी क्षेत्र में भी।

आज देश में आबादी के दबाव के कारण बड़ी जमीनें भी नहीं मिल रही, कॉलेजों और अस्पतालों जैसे कार्यों के लिए। तीस प्रतिशत का नियम लागू होते ही सरकारों के तो बड़े भवन खाली हो जाएंगे। किराए के मकान लेने ही नहीं पड़ेंगे। यातायात में भी बड़ा फर्क पड़ेगा। सरकारों को नई योजनाओं के लिए स्थान उपलब्ध होंगे। बड़े स्कूलों-कॉलेजों में शिक्षा भी तो ऑन-लाइन हो गई है। सरकारों को इनके लिए भी परिसर बनाने की जरूरत नहीं होगी। आज हम 4-जी तकनीक पर हैं। कुछ ही समय में 5-जी आने को है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी देहली पर ही खड़ी है। कार्यालय जाने और नहीं जाने के अर्थ ही बदल जाएंगे। आज हम नहीं भी करें, तो बाद में मजबूर होकर करना तो पड़ेगा। चूंकि आज सभी कार्य कर ही रहे हैं, बिना किसी प्रशिक्षण खर्च के। समय को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय भी अभी कर डालना चाहिए। जो कर देगा, वही फायदे में रहेगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो