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Patrika Opinion : दुनिया समझे पाक से इस साझेदारी के खतरे

locationनई दिल्लीPublished: Oct 07, 2021 09:00:36 am

Submitted by:

Patrika Desk

चीन को पश्चिमी दुनिया की तकनीक नहीं मिल रही है, क्योंकि उसके रिश्ते पश्चिमी देशों से उतने बेहतर नहीं हैं, जितने कि भारत और पाकिस्तान के हैं। ऐसे में उसने पाकिस्तान के जरिए यह रास्ता खोज लिया है।

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वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान और चीन का गठजोड़ चिंता का विषय नहीं है, बल्कि अधिक चिंता का विषय पाकिस्तान के रास्ते चीन को मिलने वाली पश्चिमी तकनीक है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इससे घबराने की कोई बात नहीं है और भारतीय वायुसेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है, लेकिन इस बयान के मायने कई हैं। दरअसल, पाकिस्तान और चीन के रिश्तों का असली सच पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए यह बयान काफी है। चीन को पश्चिमी दुनिया की तकनीक नहीं मिल रही है, क्योंकि उसके रिश्ते पश्चिमी देशों से उतने बेहतर नहीं हैं, जितने कि भारत और पाकिस्तान के हैं। ऐसे में उसने पाकिस्तान के जरिए यह रास्ता खोज लिया है।

अमरीका और चीन के रिश्ते भी जगजाहिर हैं। चूंकि दोनों देश तकनीक साझा नहीं करते हैं, इसलिए समझा जाता है कि पाकिस्तान अमरीका से हासिल तकनीक चीन के साथ साझा कर रहा है। आज के वक्त में ढांचागत तैयारियों में तकनीकी पक्ष का बड़ा योगदान है। हर देश अपनी सैन्य ताकतों को मजबूत करने के लिए तकनीकी पक्ष पर ज्यादा जोर दे रहा है। भारतीय सेना भी इस दिशा में काम कर रही है। लेकिन सवाल यह है कि पाकिस्तान जिस तकनीक को चीन से साझा कर रहा है, क्या उसका दुरुपयोग नहीं होगा? यह सवाल तब और महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जब अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता दिलाने के लिए पाकिस्तान भरपूर प्रयास कर रहा है। यह तथ्य जगजाहिर है कि दुनिया भर के आतंकी संगठनों के संबंध पाकिस्तान के साथ हैं। वह गाहे-बगाहे अपने फायदे के लिए आतंकी संगठनों की मदद के साथ उन्हें पोषित भी करता रहा है।

अब इस बात का खुलासा होना कि पाकिस्तान अपने फायदे के लिए चीन के साथ सैन्य तकनीकी क्षमताओं को साझा कर रहा है, सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकता है। यह अमरीका के लिए भी सबक है, जो तात्कालिक फायदे के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों का इस्तेमाल करता रहा है। जरूरी है कि दुनिया इस पहलू पर विचार करे कि पाकिस्तान के साथ किस हद तक तकनीक की साझेदारी की जानी चाहिए। साथ ही अन्य संवेदनशील मामलों में भी किस हद तक उसे सहयोग करना है। क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पाकिस्तान के साथ साझा की गई तकनीकों का दुरुपयोग नहीं होगा। ऐसे में खासकर पश्चिमी देशों को सतर्क रहने की जरूरत है।

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