scriptआम आदमी पर मार | Not just withdrawals, banks charge you for checking balance and mini statement too | Patrika News

आम आदमी पर मार

locationबालाघाटPublished: Mar 04, 2017 01:38:00 pm

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ये सच है कि बैंक घाटे में रहकर तो जनता की सेवा नहीं कर सकते लेकिन भारी मुनाफे के बाद इस शुल्क का औचित्य समझ से बाहर है। आज इन बैंकों ने शुल्क शुरू किया है, कल दूसरे बैंक भी शुरू कर देंगे।

देश में जिसे देखो, जनता को लूटने में लगा है। नेता हों या अधिकारी, टेलीकॉम कंपनियां हों या बैंक, लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ते। देश के कुछ बड़े बैंकों ने अब चार बार से अधिक जमा-निकासी पर 150 रुपए शुल्क लेना शुरू कर दिया है। 
इन बैंकों का सालाना मुनाफा हजारों-करोड़ रुपए है, बावजूद इसके वे जनता पर आर्थिक बोझ डाल रहे हैं। आश्चर्य तो ये कि इस वसूली के लिए रिजर्व बैंक ने इन बैंकों को मंजूरी भी प्रदान कर दी है। बैंकों का उद्देश्य आखिर है क्या? जनता का फायदा या अपना फायदा? 
ये सच है कि बैंक घाटे में रहकर तो जनता की सेवा नहीं कर सकते लेकिन भारी मुनाफे के बाद इस शुल्क का औचित्य समझ से बाहर है। आज इन बैंकों ने शुल्क शुरू किया है, कल दूसरे बैंक भी शुरू कर देंगे। देश के बैंक और उनकी कार्यप्रणाली किसी से छिपी नहीं है। 
सरकारी बैंकों की कर्ज पर दी गई हजारों-करोड़ों की राशि डूबत खाते चल रही है। बड़े-बड़े धन्नासेठ करोड़ों की राशि कर्ज लेकर हजम कर रहे हैं। न रिजर्व बैंक को इस डूबत राशि की कोई चिंता है और न बैंक अधिकारियों को।
इनकी चिन्ता तो बस इतनी जान पड़ती है कि आम आदमी की जेब कैसे हल्की की जाए? आम आदमी दो-चार लाख का कर्ज ले तो ब्याज के अलावा भी कई दूसरे शुल्क जोड़ दिए जाते हैं। दूसरी तरफ करोड़ों-अरबों का कर्ज लेने वाले पैसे का भरपूर उपयोग भी करते हैं और समय आने पर उसे चुकाते भी नहीं। 
जमा और निकासी पर तीन बैंकों ने जो शुल्क लगाया है वह अव्यवहारिक है। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करके इस शुल्क को वापस कराए। व्यवस्था ये भी लागू की जानी चाहिए कि भविष्य में ऐसे दूसरे शुल्क लगाने से पहले बैंकों को सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य हो।
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