अब रक्षा स्वदेशीकरण ही आगे बढ़ने का रास्ता
Published: Nov 20, 2023 11:58:37 pm
नीति-नवाचार: पहले रूस-यूक्रेन और अब इजरायल-हमास युद्ध के चलते प्रभावित हुआ है रक्षा आयात


अब रक्षा स्वदेशीकरण ही आगे बढ़ने का रास्ता
वरुण गांधी
भाजपा सांसद और ‘द इंडियन मेट्रोपोलिस’ पुस्तक के लेखक
.................................................................................. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2016 और 2020 के बीच रूस और इजरायल की भारत के रक्षा आयात में 62 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। रक्षा स्वदेशीकरण को लेकर चर्चा के बीच ऐसे आयातों की अहमियत बरकरार है। लेकिन एक ओर यूक्रेन में युद्ध ने रूस से सैन्य प्लेटफार्म डिलीवरी को प्रभावित किया है तो दूसरी ओर इजरायल-हमास युद्ध के जारी रहने से स्वाभाविक तौर पर इजरायल से भारत को हथियारों की आपूर्ति प्रभावित होगी।
जाहिर है इन परिस्थितियों में निरंतर रक्षा आयात पर भरोसा करना बेमानी है और रक्षा स्वदेशीकरण ही आगे बढ़ने का रास्ता है। इसके लिए आधुनिकीकरण की दिशा में भारत के रक्षा खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि की जरूरत है। भारत का रक्षा बजट अब रूस के बराबर है। पर अधिकांश राशि वेतन/पेंशन के लिए आवंटित की जाती है। पूंजीगत व्यय के लिए सीमित प्रावधान के साथ वित्त वर्ष 2024 में रक्षा मंत्रालय का 5.94 लाख करोड़ का बजट है। इसमें सैन्य आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित पूंजी परिव्यय के लिए महज 1.63 लाख करोड़ रुपए रखे गए हैं। 2008-2012 के बीच रक्षा बजट का पूंजीगत व्यय खर्च औसतन 32% रहा। यह बाद में 2013-2017 के बीच घटकर 27% और 2018-2022 के बीच महज 23% रह गया। इस तरह इस दौरान अनुसंधान और विकास कार्य पर खर्च में गिरावट आई।