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अब सदन में परीक्षा

Published: Jun 29, 2016 11:35:00 pm

जीएसटी विधेयक पर हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सभी राज्यों
की बैठक भी बुलाई थी और ज्यादातर राज्य विधेयक के प्रावधानों पर सहमत हैं।
लेकिन राज्यसभा में विधेयक पारित हो जाएगा इसको लेकर अभी संशय बना हुआ है

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संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है। मोदी सरकार के लिए यह सत्र काफी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि शीतकालीन सत्र तक उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों में चुनावों की घोषणा हो सकती है और जीएसटी समेत ऐसे कई जरूरी विधेयक हैं जो सरकार के गले की फांस बने हुए हैं। कुल 64 विधेयक लंबित हैं।

इनमें ज्यादातर लोकसभा में पारित हो चुके हैं लेकिन राज्यसभा में सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक पारित नहीं करवा पाई है। जिन महत्वपूर्ण बिल को पारित कराने की मोदी सरकार कोशिश करेगी उनमें विवादास्पद भूमि अधिग्रहण कानून, जीएसटी बिल, भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) विधेयक 2013 तथा व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन (संशोधन) बिल 2015 शामिल हैं।

इसके अलावा कंपनीज (संशोधन) बिल 2014, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) बिल 2014, सार्वजनिक स्थल पर अवैध अतिक्रमण रोकने सम्बंधी 2014 के संशोधन बिल लोकसभा में पारित हो चुके हैं लेकिन कानून में परिवर्तित होने के लिए राज्यसभा की मंजूरी के इंतजार में पड़े हैं। राज्यसभा में मौजूदा 243 सदस्यों में बहुमत के लिए 122 सदस्यों की जरूरत है। फिलहाल भाजपा नीत एनडीए सरकार उच्च सदन में बहुमत से काफी दूर है।

जीएसटी विधेयक पर हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सभी राज्यों की बैठक भी बुलाई थी और तमिलनाडु को छोड़कर ज्यादातर राज्य विधेयक के प्रावधानों पर सहमत भी हैं। लेकिन राज्यसभा में विधेयक पारित हो जाएगा इसको लेकर अभी संशय बना हुआ है। मोदी सरकार के लिए दूसरा बड़ा खतरा सुब्रमण्यम स्वामी हो सकते हैं। हाल ही रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन एवं आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम को लेकर उनकी बयानबाजी और फिर वित्त मंत्री अरुण जेटली से टकराव इतना बढ़ गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दखल देनी पड़ी।

उन्होंने स्वामी को नसीहत दी कि देश से बड़ा कोई नहीं होता। वे संयम रखें। इसके बाद स्वामी के जो तेवर हैं उनसे लगता है कि वे एनडीए सरकार के लिए नई समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। कांग्रेस नीत विपक्ष राज्यसभा में 132 सीटों के साथ बहुमत में है। वह इसी फिराक में था कि भाजपा का ही कोई सदस्य बखेड़ा खड़ा कर दे और वे अपने मंसूबों में बिना किसी विवाद में पड़े ही कामयाब हो जाएं।

जीएसटी, भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित कराना मानसून सत्र में सरकार की प्रथम प्राथमिकताओं में है। लेकिन पिछले सत्रों में विपक्ष के प्रहार से आहत सरकार को अपनों (स्वामी जैसों) से भी खतरा महसूस हो रहा है। एनएसजी सदस्यता हासिल करने में सरकार की विफलता पर पहले ही विपक्ष त्यौरियां चढ़ाए बैठा है। इसके अलावा आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद को लेकर भी कांग्रेस सदन में आक्रामक रहने के संकेत दे चुकी है। स्वामी भी राम मंदिर मुद्दे को उठा सकते हैं। कुल मिलाकर विदेश दौरों में अपनी कूटनीतिक क्षमता दिखा चुके मोदी संसद में अहम बिलों को पारित कैसे कराएंगे, जुलाई माह में मानसून की फुहारों के बीच यह देखना रोचक होगा।

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