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प्रसंगवश: पुलिस की कार्यशैली पर फिर से लगा सवालिया निशान

Published: May 18, 2022 09:09:39 pm

Submitted by:

Patrika Desk

पुलिस को निर्दोष को सजा नहीं होने देने के न्याय के सिद्धान्त की पालना भी सुनिश्चित करनी होगी

प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

एक ही दिन में दो अलग-अलग मामलों में राजस्थान पुलिस की दक्षता पर गहरे सवालिया निशान लग गए हैं। एक ओर कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में फिर सरकार के दावे फुस्स साबित हुए और पेपर लीक हो गया। दूसरी ओर न्यायालय ने पॉक्सो मामले के एक अपराधी की सजा में बदलाव किया। अदालत ने अपनी टिप्पणी में पुलिस अनुसंधान को कटघरे में लाते हुए भारी मन से किसी अन्य के किए अपराध में एक व्यक्तिकी सजा को कम करने का फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में जांच अधिकारी की भूमिका को संदिग्ध करार दिया और मामले को फिर से खोल कर जांच करने के निर्देश दिए। अनुसंधान में कमी को लेकर अदालत ने कोई पहली बार पुलिस अधिकारियों को फटकार नहीं लगाई है। ऐसा कई बार होने के बावजूद पुलिस अधिकारी तफ्तीश करते समय उन बिंदुओं का ध्यान नहीं रखते जो अदालत में दोष व सजा निर्धारित करते समय देखे जाते हैं। समय आ गया है जब पुलिस को जांच के आदिम तौर-तरीकों में बदलाव ला कर नई तकनीक की रोशनी में सुस्पष्ट जांच के लिए बेड़े को तैयार करना होगा।
आनन-फानन में अनुसंधान कर मामले को पूरा करने के रेकॉर्ड बनाने की अंधी दौड़ से बच कर पुलिस को निर्दोष को सजा नहीं होने देने के न्याय के सिद्धान्त की पालना भी सुनिश्चित करनी होगी। भर्ती परीक्षाओं में बड़े-बड़े गिरोह सक्रिय होने के दावे के साथ लगातार गिरफ्तारियां कर गाल बजा रही पुलिस के अपने बेड़े में हो रही भर्ती का पेपर ही लीक हो गया। हालांकि पुलिस ने मामले को सुलझाने का दावा करते हुए आरोपियों को चिह्नित करने का दावा कर कुछ गिरफ्तारियां भी कर ली हैं। रीट परीक्षा के बाद आगामी परीक्षाओं में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की बात कही गई थी। सख्त कानून भी बनाया गया था। कांस्टेबल भर्ती के पेपर लीक ने सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल कर रख दी है।
बेहतर तो यह है कि सरकार को परीक्षा के लिए केन्द्र की ओर से गठित नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तर्ज पर ऑनलाइन परीक्षा आयोजन की दिशा में कदम उठाने चाहिए। सभी भर्ती एजेंसियों को एक मंच पर लाकर अभ्यर्थियों को राहत देनी होगी। पुलिस को भी आगामी भर्ती परीक्षाओं में ऐसे इंतजाम करने की जरूरत होनी चाहिए कि नकल गिरोह के तमाम मुन्नाभाई कम से कम राजस्थान प्रदेश में नकल का ठेका लेने का दुस्साहस नहीं कर सकें। (अ.सिं.)
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