scriptएमएसएमई के लिए नए निर्देश अनौपचारिक क्षेत्र के लिए मुसीबत | Opinion View of IIM Professor MS Shriram on Govt Notification on MSME | Patrika News

एमएसएमई के लिए नए निर्देश अनौपचारिक क्षेत्र के लिए मुसीबत

locationनई दिल्लीPublished: Sep 27, 2020 03:49:23 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

एमएसएमई से जुड़ी अधिसूचना से बढ़ी चिंता, अधिसूचना के अनुसार, प्रत्येक एमएसएमई इकाई को उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर रजिस्टर करना अनिवार्य होगा।

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भारत सरकार ने हाल ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को लेकर जो अधिसूचना जारी की है, उससे बैंकिंग क्षेत्र में कुछ चिंताएं पैदा हो गई हैं। ये परिपत्र वित्त मंत्री द्वारा एमएसएमई क्षेत्र को पुनर्परिभाषित करने की घोषणा के मद्देनजर जारी किए गए हैं। हालांकि सरकार का इरादा इस क्षेत्र में वर्गीकरण को बढ़ाने का था, ताकि सरकार के राहत पैकेज का लाभ व्यापक स्तर तक पहुंचाया जा सके और बुरी तरह प्रभावित हुए क्षेत्र के निचले तबके तक ऋण की उपलब्धता बनी रहे।
यानी असंगठित क्षेत्र तक। यही क्षेत्र कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस समस्या की जड़ असल में मौजूदा अर्थव्यवस्था का तंत्र है, जो डेटा संग्रहण करना और अर्थव्यवस्था को संगठित क्षेत्र में लाने के लिए उतावला है। नई अधिसूचना का असंगठित क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। दूसरी ओर अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने के लिए बैंक एमएसएमई क्षेत्र को ऋण देते रहे हैं। अब उनके सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है।

अधिसूचना के अनुसार, प्रत्येक इकाई को उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर रजिस्टर करना अनिवार्य होगा। इस पोर्टल पर पहले से ही वर्गीकरण की भरमार है और प्रत्येक उद्योग को अपने अस्तित्व की वैधता के पक्ष में पहचान संबंधी कुछ दस्तावेज जमा करवाने होते हैं। ये दस्तावेज हो सकते हैं- आधार नम्बर, पैन नम्बर या जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र। बड़े एवं औपचारिक क्षेत्र के उद्योगों का अलग से व्यावसायिक पैन या जीएसटी नम्बर होता है। परन्तु छोटे व असंगठित क्षेत्र के व्यापारी जो आयकर या जीएसटी के दायरे में नहीं आते, उनके पास ये नहीं होता। इन सबके अलावा एक समस्या और है। 26 जुलाई को जारी गजट अधिसूचना में सेवा क्षेत्र में खुदरा एवं थोक व्यापार की श्रेणी नहीं रखी गई है।

इंडिया डेटा इनसाइट्स की ओर से प्रदत्त आंकड़ों के अनुसार एमएसएमई क्षेत्र के कुल उद्योगों में से केवल 16 प्रतिशत ने ही उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है और इन सभी को मार्च 2021 से पहले पुन: रजिस्टर करना होगा। व्यापार एवं सेवा की उप श्रेणी में अनुमानित इकाइयों में से केवल 14 प्रतिशत ही पंजीकृत हैं। यह प्रक्रिया एक प्रकार से असम की एनआरसी के समान है। जो छोटे उद्यमी लंबे समय से सक्रिय हैं और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं, वे फिलहाल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं और उनसे कहा गया है कि अगर वे पोर्टल पर रजिस्टर नहीं करवाते हैं तो उनका अस्तित्व ही नहीं माना जाएगा। नतीजा यह है कि बड़ी संख्या में अनौपचारिक और अर्ध-औपचारिक उद्यम जो बैंकिंग प्रणाली से उधार ले रहे थे, वे एमएसएमई की श्रेणी के अयोग्य हो जाते हैं।
यह दृष्टिकोण अनौपचारिक उद्यमों को औपचारिक बनाने में मदद करने के बारे में नहीं लगता है। यह तो कह रहा है कि या तो औपचारिक हो जाओ या नष्ट हो जाओ। अब किसी न्यूज चैनल के दफ्तर के बाहर का मशहूर पकौड़ेवाला तब तक खुद को अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं मान सकता,जब तक कि वह उद्यम पोर्टल पर नहीं जाता और खुद को पंजीकृत नहीं करता। बेशक पोर्टल उसे स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि वह व्यापार और सेवा श्रेणी में है। वह औपचारिक प्रणाली से बाहर हो जाता है जब तक कि वह स्टार्ट अप इंडिया का हिस्सा नहीं बन जाता है।

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