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ताकत बन जाती हैं विपरीत स्थितियां

Published: Jul 04, 2022 07:49:03 pm

Submitted by:

Patrika Desk

ज्वाला हवा चलने पर नष्ट होने की बजाय और भी तेजी से धधक उठती है, क्योंकि यह हवा से ऑक्सीजन प्राप्त करती है। इस प्रकार, संस्थान भी चुनौतियों का उपयोग ताकत विकसित करने के अवसर के रूप में करते हैं।

ताकत बन जाती हैं विपरीत स्थितियां

ताकत बन जाती हैं विपरीत स्थितियां

प्रो. हिमांशु राय
निदेशक,
आइआइएम इंदौर


पिछले आलेख में मैंने चर्चा की थी कि किस प्रकार तन्यकता यानी लचीलेपन को अपनाकर एक लीडर न सिर्फ स्वयं की, अपितु अपने अधीनस्थों एवं अपने संगठन को प्रगति के मार्ग की ओर ले जा सकता है। लचीलेपन का यह गुण एक लीडर अथवा प्रबंधक को कठिन, चुनौतीपूर्ण या विरोधी स्थितियों में अपने अनुभवों से सीख लेने के लिए प्रेरित करता है, जिससे वे विपरित स्थितियों को भी प्रतिकूल बनाने में सफल हो जाते हैं।
सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक, ‘द ब्लैक स्वान ‘ के लेखक नसीम तालेब ने अपनी पुस्तक ‘एंटीफ्रेजाइल: थिंग्स दैट गेन फ्रॉम डिसऑर्डर ‘ में ‘एंटीफ्रेजिलिटी ‘ यानी भंगुरता या क्षयिता की एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा पर चर्चा की है। क्षयिता को ‘रेसिलिएंसÓ यानी लचीलापन की अवधारणा के विस्तार के रूप में समझा जा सकता है और इसे कभी-कभी ‘रेसिलिएंस 2.0 ‘, यानी तन्यकता का दूसरा आधुनिक रूप भी कहा जाता है। जब भी हम किसी तंत्र पर दबाव डालते हैं और उस दबाव के बाद वह तंत्र अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस लौट कर आ जाता है, तो इसे लचीलापन कहा जाता है। वहीं भंगुरता इसका और भी विकसित रूप है -जब दबाव हटाने पर या परिस्थितियां सुधरने पर, एक तंत्र अथवा संगठन वास्तव में बड़ा, मजबूत और अत्यधिक सुदृढ़ हो कर उभरता है।
तालेब ने इस धारणा को एक ज्वाला के उदाहरण के साथ वर्णित किया है, जो हवा चलने पर नष्ट होने की बजाय और भी तेजी से धधक उठती है, क्योंकि यह हवा से ऑक्सीजन प्राप्त करती है। इस प्रकार, संस्थान भी चुनौतियों का उपयोग ताकत विकसित करने के अवसर के रूप में करते हैं।
भंगुरता का सामना कर सकने वाले तंत्र, ‘एंटी-फ्रेजाइल संगठन ‘, प्रकृति में भौतिक या मनोवैज्ञानिक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, हम मांसपेशियों की ताकत विकसित करने के लिए, वजन उठाने के प्रशिक्षण (वेट ट्रेनिंग) के दौरान व्यायाम करते हैं और वजन उठाने का अभ्यास करते हैं। ये व्यायाम हमारी मांसपेशियों पर तनाव बढ़ाते हैं, जिससे सूक्ष्म चोट पहुंच सकती है या मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। हालांकि, इसके बाद शरीर न केवल क्षतिग्रस्त मांसपेशियों के ऊतकों को ठीक करने के लिए प्रतिक्रिया करता है, बल्कि बनने वाले नए मांसपेशी ऊतक बहुत मजबूत होते हैं। इस प्रकार, वजन प्रशिक्षण सत्र या अन्य ‘बॉडी-बिल्डिंग ‘ की ट्रेनिंग मानव पेशी प्रणाली की ‘एंटी फ्रेजिलिटीÓ के गुण का उपयोग करते हैं। मनोवैज्ञानिक परिदृश्य पर संकट के बाद मानसिक शक्ति विकसित करने की ऐसी क्षमता को ‘पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ ‘ (पीटीजी) कहा जाता है। इसलिए, जब कुछ लोग पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस (पीटीएस) का अनुभव करते हैं। यदि कोई इसे सहन करता है और अपनी मानसिक शक्ति को बढ़ाता है तो वह पीटीजी की ओर बढ़ता है। प्रबंधकों और लीडरों के रूप में, व्यक्तियों को एक ऐसा दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए, जो पीटीजी की ओर उन्मुख हो।
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