भारत में मुस्लिम समाज अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर सबसे अधिक परेशान है। शिक्षा, रोजगार और शांति इस समुदाय की प्राथमिकताओं में है। अपराध और नशे से मुक्ति, महिला अधिकारों की सुरक्षा, बच्चों को बेहतर तालीम और बेहतर जीवनस्तर भारत के मुसलमानों की घोर आवश्यकता है। पर नशा सिर्फ रसायनों और तम्बाकू से ही नहीं होता। विचार का भी एक नशा होता है जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भारत के मुस्लिम युवाओं को पिलाने की कोशिश की।
पीएफआइ का चिट्ठा बहुत बड़ा है। इसमें सभी घटनाओं का जिक्र नहीं किया जा सकता लेकिन यह बात जरूर की जानी चाहिए कि पीएफआइ ने किस तरह देश में इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम नौजवानों को अपने साथ जोड़ा और भनक भी नहीं लगने दी। दरअसल, पीएफआइ मुस्लिम ब्रदरहुड की नीतियों और विचारधारा पर काम करती है। मुस्लिम ब्रदरहुड एक पॉलिटिकल इस्लाम पर आधारित संगठन है ,जिसने पूरी दुनिया में मुस्लिम अवाम के बीच यह प्रचारित कर रखा है कि एक दिन राष्ट्र नामक संस्थाओं को मिटाकर वह खिलाफत की स्थापना कर देगा। यह सपना दिखाकर वह मुस्लिम युवाओं को कट्टर बनाता है। भारत में मुस्लिम समाज अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर सबसे अधिक परेशान है। शिक्षा, रोजगार और शांति इस समुदाय की प्राथमिकताओं में है। अपराध और नशे से मुक्ति, महिला अधिकारों की सुरक्षा, बच्चों को बेहतर तालीम और बेहतर जीवनस्तर भारत के मुसलमानों की घोर आवश्यकता है। पर नशा सिर्फ रसायनों और तम्बाकू से ही नहीं होता। विचार का भी एक नशा होता है जो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भारत के मुस्लिम युवाओं को पिलाने की कोशिश की। भारत के सांस्कृतिक परिवेश में पीएफआइ जैसे संगठन सफल तो नहीं हो पाएंगे, अलबत्ता पहले से परेशान मुस्लिम समुदाय को और परेशान जरूर करेंगेे।