ओपिनियन

दर्दनाक बानगी

आखिर इस सबका अर्थ
क्या है? इसमें जुड़ाव कहां है? कहां गया आम आदमी से हमारे दिल का और दर्द का
रिश्ता? सभी पैंतरेबाजी में उलझे लगते हैं

Apr 23, 2015 / 11:28 pm

शंकर शर्मा

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