patrika opinion डॉक्टरों के डेटाबेस से होगी सही-गलत की पहचान
एक नहीं, अनेक झोलाछाप इलाज के नाम पर न केवल चांदी कूट रहे हैं बल्कि लोगों की जान के दुश्मन भी बनते जा रहे हैं। असल में गुणवत्तापूर्ण सरकारी चिकित्सा तंत्र के अभाव में इस तरह के ठग जगह-जगह पनप गए हैं। जिन पर इनकी रोकथाम की जिम्मेदारी है, वे निष्क्रिय हैं। ऐसी हालत में मरीजों को इस बात का भी पता नहीं चल पाता कि जो डॉक्टर उनका इलाज कर रहा है, वह असली है या नकली। अब, जब चिकित्सकों का डेटाबेस ऑनलाइन हो जाएगा, तो मरीज या उनके परिजन एक ही क्लिक में संबंधित डॉक्टर की योग्यता के बारे में पता लगा लेंगे और फर्जी डॉक्टरों से बच सकेंगे।
देश में सभी एलोपैथिक (एमबीबीएस) पंजीकृत डॉक्टरों के लिए एक व्यापक डेटाबेस तैयार करने का काम शुरू हो गया है। इससे एक ओर सरकारों को चिकित्सा से जुड़ी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी, वहीं देश में कार्यरत चिकित्सकों की संख्या और योग्यता के बारे में सटीक जानकारी भी मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह कि ऑनलाइन एकीकृत पंजीकरण अनिवार्य होने से झोलाछाप ‘चिकित्सकों’ पर लगाम लगाने में मदद मिल सकेगी। यह आवश्यकता इसलिए भी थी क्योंकि ग्रामीण ही नहीं, शहरी इलाकों तक में भी अस्पताल का बोर्ड लगाकर फर्जी लोग इलाज करते दिख जाते हैं। मरीज की मौत या हालत बिगडऩे पर कई बार ऐसे फर्जी डॉक्टर पकड़े भी जाते हैं।
हाल ही बिहार के छपरा में यूट्यूब चैनल देखकर पथरी का ऑपरेशन करने के चक्कर में फर्जी डॉक्टर ने एक किशोर की जान ले ली। राजस्थान में डूंगरपुर के सीमलवाड़ा क्षेत्र में तो बड़ा ही विचित्र मामला सामने आया। वहां एक फर्जी डॉक्टर पिछले तीन साल से आठ बेड का अस्पताल चला रहा था। असल में वह पहले गुजरात के किसी अस्पताल में सफाई का काम करता था। ऐसे एक नहीं, अनेक झोलाछाप इलाज के नाम पर न केवल चांदी कूट रहे हैं बल्कि लोगों की जान के दुश्मन भी बनते जा रहे हैं। असल में गुणवत्तापूर्ण सरकारी चिकित्सा तंत्र के अभाव में इस तरह के ठग जगह-जगह पनप गए हैं। जिन पर इनकी रोकथाम की जिम्मेदारी है, वे निष्क्रिय हैं। ऐसी हालत में मरीजों को इस बात का भी पता नहीं चल पाता कि जो डॉक्टर उनका इलाज कर रहा है, वह असली है या नकली। अब, जब चिकित्सकों का डेटाबेस ऑनलाइन हो जाएगा, तो मरीज या उनके परिजन एक ही क्लिक में संबंधित डॉक्टर की योग्यता के बारे में पता लगा लेंगे और फर्जी डॉक्टरों से बच सकेंगे।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की ओर से जारी पोर्टल के जरिए देश के सभी एमबीबीएस डॉक्टरों को यूनीक आइडी मिलेगी। इससे अलग-अलग राज्यों में रजिस्ट्रेशन से लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी और भ्रम की संभावना खत्म हो सकेगी। पैरामेडिकल और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए भी इसी तरह का रजिस्टर शुरू करने पर काम हो रहा है। चिकित्सा ही नहीं, हर क्षेत्र के पेशेवरों के बारे में सटीक आंकड़े और जानकारी होने से सरकार को योजनाएं बनाने में तो आसानी होती ही है, इनकी सेवाएं लेने वालों को भी सही पेशेवर का चयन करने में मदद मिलती है। डिजिटल युग में जब पूरी दुनिया की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाती है, तो चिकित्सकों समेत सभी पेशेवरों के बारे में अधिकृत जानकारी उपलब्ध कराने के किसी भी विश्वसनीय नेटवर्क की पहल स्वागतयोग्य है।
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