ओपेक की आक्रामक नीतियों से निपटने के लिए भारत ने 2018 में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच की बैठक में तेल खरीदने वाले देशों का समूह बनाने का विचार रखा था, ताकि तेल बेचने वाले देशों से वाजिब शर्तों पर मोलभाव किया जा सके। इस विचार पर आगे बढ़ा जाता तो तेल बाजार पर ओपेक देशों का दबदबा घटाने में मदद मिल सकती थी। सऊदी अरब जैसा बड़ा तेल उत्पादक भारत और जापान से ‘एशियाई प्रीमियम’ वसूलता है। यानी दूसरे देशों के मुकाबले इन्हें तेल की ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। इस शोषण के खिलाफ एशियाई देश भी एकजुट नहीं हो पाए हैं। पिछले एक साल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। भावी उत्पादन की रूपरेखा तैयार करने के लिए ओपेक देशों की 2 दिसंबर को बैठक होने वाली है। ओपेक पर समुचित दबाव बनाने का यह एक अवसर हो सकता है।