scriptPatrika Opinion : महिलाओं की सेहत के सवालों का जवाब कब ? | Patrika Opinion : questions of women's health are being ignored | Patrika News

Patrika Opinion : महिलाओं की सेहत के सवालों का जवाब कब ?

locationनई दिल्लीPublished: Sep 11, 2021 10:44:49 am

Submitted by:

Patrika Desk

women’s health : दिल्ली, मुंबई समेत देश के सात बड़े शहरों में किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ‘द इंडियन विमिन हेल्थ’ की वर्ष 2021 की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कामकाजी महिलाओं की सेहत ठीक नहीं है।

Patrika Opinion : महिलाओं की सेहत के सवालों का जवाब कब ?

Patrika Opinion : महिलाओं की सेहत के सवालों का जवाब कब ?

women’s health : महिला सशक्तीकरण (women empowerment) के दौर में महिलाओं में कामकाजी महिलाओं (working women) का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। वे स्वावलंबी हो रही हैं और इससे पारिवारिक आर्थिक ढांचे में सुधार भी हो रहा है। मगर इसका खमियाजा महिलाओं की सेहत को भुगतना पड़ रहा है। दिल्ली, मुंबई समेत देश के सात बड़े शहरों में किए गए एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ‘द इंडियन विमिन हेल्थ’ (Indian Women’s Health 2021) की वर्ष 2021 की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कामकाजी महिलाओं की सेहत (Women Health) ठीक नहीं है। करीब 67 प्रतिशत महिलाएं अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करने से भी हिचकती हैं। नि:संदेह वे घुट-घुटकर अपनी व्याधियों और रोगों से मुकाबला कर रही होंगी। तथ्य यह भी है कि 22 से 55 वर्ष की उम्र की 59 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं अपनी सेहत संबंधी परेशानियों के कारण नौकरी छोड़ देती हैं।

प्रश्न यह है कि महिलाएं स्वस्थ नहीं होंगी तो वे अपनी नौकरी-पेशे, परिवार और बच्चों की फिक्र कैसे करेंगी। महिलाओं के इस जज्बे को सभी सराहते हैं कि वे देश, समाज और परिवार के हर दायित्व को बखूबी निभा रही हैं। मगर कामकाजी महिलाओं के बच्चों पर क्या बीत रही है, इस बारे में भी चर्चा की जानी चाहिए। पुरुषवादी समाज में संवेदनशीलता और महिलाओं की सेहत को लेकर जिम्मेदारी के बोध की घोर कमी है। यह बात सर्वे में भी साफ हुई है। महिलाओं ने बताया है कि जब उनकी सेहत की बात आती है तो 80 प्रतिशत फीसदी पुरुष सहयोगी संवेदनहीन बर्ताव करते हैं।

महिला सशक्तिकरण के हालात: एक साल में मात्र 100 रुपये की बिक्री, कैसे सशक्त होंगी महिलाएं

इस तरह के सर्वे पहले भी आते रहे हैं, मगर समस्या का समाधान सामने नहीं आया है। आधी आबादी की सेहत की चिंता करते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कामकाज के दौरान महिलाओं के प्रति बर्ताव में सुधार हो। उनके अधिकारों को अधिक संरक्षण दिया जाना चाहिए। यह भी तय किया जाना चाहिए कि श्रम साधना करके जो महिलाएं राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रही हैं, उन्हें परिवार व बच्चों के लिए अधिक वक्त दिया जाना चाहिए।

इससे भी अधिक अहम चर्चा का विषय उन महिलाओं की सेहत की चिंता करना है जो गृहिणियां हैं। कार्यालयों व सेवा स्थल पर जो हालात हैं, उससे बदतर स्थितियां घरों में हैं। कार्यालय में पुरुष सहयोगी जैसा बर्ताव करते हैं, वैसे ही व्यवहार का सामना महिलाओं को अपने घरों में भी करना पड़ता है। कई तरह के कानून-कायदे बन चुके हैं, मगर हालात सिर्फ इनके दम पर नहीं सुधरेंगे। सोच बदलने से ही महिलाओं की सेहत से जुड़े सवालों का जवाब मिल सकेगा, उनका समाधान हो सकेगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो