Patrika Opinion: इसे विडम्बना कहा जाएगा कि भारत के सबसे कामयाब टेस्ट कप्तान विराट कोहली को एक टेस्ट सीरीज के बाद इस फॉर्मेट की कप्तानी छोडऩे की घोषणा करनी पड़ी। विराट कोहली की उपलब्धियों को देखते हुए वह शानदार और सम्मानजनक विदाई के हकदार थे। बीसीसीआइ से तनातनी के कारण वह इससे वंचित रहे। मैदान में भले आप बड़े धुरंधर क्यों न हो, सत्ता से टकराव महंगा साबित होता है, कोहली की इस घोषणा से यह फिर साबित हो गया।
Virat Kohli deserved farewell with respect : हर कहानी का कोई न कोई अंत होता है। इस लिहाज से भारतीय क्रिकेट में विराट कोहली की कप्तानी के युग का अंत भी एक सच्चाई है। अफसोस की बात यह है कि कप्तानी की यह कहानी कड़वे प्रसंगों के साथ खत्म हुई। विराट कोहली और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) में कड़वाहट की शुरुआत भारतीय टीम के दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले हो गई थी। विराट के टी-20 फॉर्मेट की कप्तानी छोडऩे के फैसले से भन्ना कर बीसीसीआइ ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय की कप्तानी से हटा दिया था।
सुलह के बजाय बीसीसीआइ प्रमुख सौरव गांगुली ने उनके खिलाफ जो आक्रामक रुख अपना रखा था, उसको लेकर लग रहा था कि विराट कोहली की टेस्ट कप्तानी से भी छुट्टी की जा सकती है। बीसीसीआइ को यह मौका देने के बजाय कोहली ने खुद सोशल मीडिया पर टेस्ट कप्तानी छोडऩे की घोषणा कर दी। मैदान में भले आप बड़े धुरंधर क्यों न हो, सत्ता से टकराव महंगा साबित होता है, कोहली की इस घोषणा से यह फिर साबित हो गया।
यह भी पढ़ें –
राजनीति से गायब क्यों है साफ हवा का मुद्दा विराट कोहली ने जब टी-20 की कप्तानी से हटने का फैसला किया था, उसी समय अगर बीसीसीआइ ने मान-मनुहार कर मामले को संभाला होता, तो कहानी इस अप्रिय मोड़ तक नहीं पहुंचती। हालांकि सौरव गांगुली का कहना है कि टी-20 की कप्तानी छोडऩे पर उन्होंने कोहली को फैसले पर पुनर्विचार की सलाह दी थी। कोहली राजी नहीं हुए तो बोर्ड को मजबूरन उन्हें एक दिवसीय की कप्तानी से हटाना पड़ा।
लेकिन कोहली का कहना है कि उन्हें किसी ने फैसले पर पुनर्विचार की सलाह नहीं दी और एक दिवसीय की कप्तानी से हटाने का फैसला भी अचानक बताया गया। जिसकी कप्तानी ने भारतीय क्रिकेट में नए जोश का सूत्रपात किया हो और देश को गर्व के कई पल दिए हों, उसके साथ ऐसा बर्ताव बीसीसीआइ की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करता है।
सौरव गांगुली खुद कप्तान रह चुके हैं। वह कोहली की भावनाओं, अपेक्षाओं आकांक्षाओं को बेहतर समझ सकते थे, लेकिन उन्होंने भी वही उपेक्षापूर्ण रुख अपनाया, जिसके लिए बोर्ड के दूसरे पदाधिकारियों की आलोचना होती रही है।
इसे भी विडम्बना कहा जाएगा कि भारत के सबसे कामयाब टेस्ट कप्तान विराट कोहली को एक टेस्ट सीरीज के बाद इस फॉर्मेट की कप्तानी छोडऩे की घोषणा करनी पड़ी। विराट कोहली की उपलब्धियों को देखते हुए वह शानदार और सम्मानजनक विदाई के हकदार थे। बीसीसीआइ से तनातनी के कारण वह इससे वंचित रहे। उम्मीद की जानी चाहिए कि मैदान में उनकी पारी बदस्तूर जारी रहेगी। बल्ले से वह आज भी कमाल कर दिखाने का दम-खम रखते हैं।
यह भी पढ़ें –
भ्रष्टाचार व छुआछूत सबसे बड़ा दंश