Patrika Opinion: ओपेक देशों की मनमानी का स्थायी निदान जरूरी
Published: Oct 09, 2022 10:18:30 pm
ओपेक की आक्रामक विपणन नीतियों से निपटने के लिए भारत ने चार साल पहले तेल आयातक देशों का एक क्लब बनाने की कोशिशें शुरू की थीं। इसमें चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को शामिल करने की योजना है।


प्रतीकात्मक चित्र
ऐसे समय में, जब रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया आपूर्ति बाधाओं से जूझ रही है, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके प्लस समूह देशों ने तेल उत्पादन घटाने का फैसला कर वैश्विक चिंताएं बढ़ा दी हैं। ओपेक नवंबर से उत्पादन प्रतिदिन 20 लाख बैरल घटाने वाला है। इससे कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें फिर बढऩे की आशंका है, जो पिछले चार महीने से घट रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मार्च में तेल की कीमतें 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। ये अब 92 डॉलर के आसपास आ चुकी हैं। कीमतों में गिरावट ही ओपेक के फैसले का प्रमुख कारण है। उसका मानना है कि बाजार के मौजूदा हालात के हिसाब से कीमतें कम हैं और उत्पादन घटने के बाद मांग बढऩे से तेल की ‘लडख़ड़ाती कीमतों’ को साधा जा सकेगा।