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राज्य की डायरी : राजनीतिक दलों की चुनावों पर नजर

locationनई दिल्लीPublished: Oct 18, 2021 11:02:44 am

Submitted by:

Patrika Desk

मणिपुर…
‘आभूषणों की भूमि’ और ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ माने जाते इस राज्य में बंद का आलम यह है कि साल के 365 दिनों में करीब 100 दिन ही स्कूलों में पढ़ाई हो पाती है।

राज्य की डायरी : राजनीतिक दलों की चुनावों पर नजर

राज्य की डायरी : राजनीतिक दलों की चुनावों पर नजर

मणिपुर के माथे पर संघर्ष और आए दिन होने वाला बंद मानो अमिट तकदीर की तरह लिख दिया गया है। ‘आभूषणों की भूमि’ और ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ माने जाते इस राज्य में बंद का आलम यह है कि साल के 365 दिनों में करीब 100 दिन ही स्कूलों में पढ़ाई हो पाती है। मुख्य राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा दोनों इन बंद को हमेशा के लिए बंद करने के दावे-वादे करते रहे हैं। ऐसा ही दावा जुलाई 2021 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया था कि मणिपुर में साढ़े चार साल की एनडीए सरकार के दौरान कोई बंद नहीं हुआ। मगर बंद हैं कि बंद होने का नाम नहीं ले रहे। फिलहाल जनजाति नेता अथुवान अबुनमई अपहरण और हत्याकांड को लेकर बंद का दौर जारी है।

मणिपुर में अब विधानसभा चुनावों की तैयारी दिखने लगी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राज्य में पार्टी का चुनावी अभियान शुरू कर चुके हैं। अंडमान और निकोबार की यात्रा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने माउंट हैरियट का नाम माउंट मणिपुर करने की घोषणा करके मणिपुर के लोगों का दिल जीतने की कोशिश की है। गौरतलब है कि मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी थी। महाराजा कुलचंद्र ध्वज सिंह और 22 स्वतंत्रता सेनानियों को काला पानी भेज दिया गया था और उन्हें माउंट हैरियट टापू पर ही रखा गया था। अफस्पा और बंद से हलकान होता जनजीवन यहां के चुनावी मुद्दों में सर्वोपरि रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव भी इस मामले में अपवाद नहीं होंगे। -राम नरेश गौतम

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