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सत्ता और लोकतंत्र

Published: Jul 31, 2017 11:41:00 pm

कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। गुजरात में भी ठीक 21 साल बाद राजनीतिक इतिहास दोहराया जा रहा है।

Political Events

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कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। गुजरात में भी ठीक 21 साल बाद राजनीतिक इतिहास दोहराया जा रहा है। तब गुजरात में जो राजनीतिक घटनाक्रम घूमा उसके केन्द्र में थे शंकर सिंह वाघेला। तब वहां भाजपा सरकार थी। वाघेला की भाजपा आलाकमान से ठन गई तो उन्होंने पार्टी से अलग होकर भाजपा सरकार गिरा दी और अलग पार्टी बना कांग्रेस के सहयोग से मुख्यमंत्री बन बैठे। भाग्य ने लम्बे समय तक साथ नहीं दिया सो एक साल में ही वाघेला सरकार धराशायी हो गई।

 बाद में वाघेला ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। तब से ही वाघेला भाजपा सरकार अपदस्थ करने की कोशिशों में जुटे थे। ये अलग बात है कि गुजरात में विधानसभा चुनाव छह महीने में होने वाले हैं। वाघेला चाहते थे कि कांग्रेस उन्हें मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित करे। मांग नहीं मानी तो उनकी कांग्रेस आलाकमान से भी ठन गई। शक्ति प्रदर्शन के लिए वाघेला ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के ताकतवर नेता अहमद पटेल को हराने की ठान ली।

 स्वयं तो कांग्रेस छोड़ ही चुके हैं, छह अन्य कांग्रेसी विधायकों से पार्टी के साथ विधानसभा से भी इस्तीफा दिला चुके हैं। कांग्रेस को घर बचाने के लिए विधायकों को पार्टी शासित राज्य कर्नाटक ले जाना पड़ा। इस टूट को कांग्रेस धनबल और सत्ताबल का असर मान रही है।

गुजरात में जो हो रहा है वह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता। विधायकों की टूट को भाजपा के खेल से जोड़कर कांग्रेस चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटाने के साथ इसे लोकतंत्र की हत्या तक करार दे रही है। आज कांग्रेस जिस दौर से गुजर रही है, उसे भाजपा की हर चाल लोकतंत्र पर कुठाराघात के रूप में ही नजर आ रही है। बड़ा सवाल ये कि कांग्रेस को लोकतंत्र की याद तब क्यों आ रही है जब वह केन्द्र के साथ तमाम राज्यों की सत्ता से बाहर हो चुकी।

कांग्रेस को क्या याद नहीं कि उसके सत्तारूढ़ होते हुए बहुमत के बावजूद कैसे एन.टी. रामाराव और देवीलाल को सत्ता से बेदखल किया गया था? कांग्रेस सरकार के इशारे पर कैसे राज्यपाल काम करते थे? आज भाजपा सत्ता में है तो वह अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रही है। लोकतंत्र की हत्या पहले भी होती थी, आज भी हो रही है और आगे भी होती रहेगी! जो दल सत्ता में होगा, अपने तरीके से काम करेगा और जो विपक्ष में होगा उसे लोकतंत्र पर आघात नजर आएगा।
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