भारत में राष्ट्रपति की भूमिका जो रही है और इस समय है...
-बहुत ही प्रतिष्ठित और मर्यादा वाले लोग राष्ट्रपति बने हैं और उन्होंने अपनी संवैधानिक भूमिका निभाई है। कुछ रबर स्टांप भी बने हैं। दोनों तरह के राष्ट्रपति भारत के इतिहास में देखने को मिले हैं। मैं इतना ही कह सकता हूं कि मैं रबर स्टांप राष्ट्रपति नहीं बनने वाला हूं।
-बहुत ही प्रतिष्ठित और मर्यादा वाले लोग राष्ट्रपति बने हैं और उन्होंने अपनी संवैधानिक भूमिका निभाई है। कुछ रबर स्टांप भी बने हैं। दोनों तरह के राष्ट्रपति भारत के इतिहास में देखने को मिले हैं। मैं इतना ही कह सकता हूं कि मैं रबर स्टांप राष्ट्रपति नहीं बनने वाला हूं।
विपक्ष के आपके साथ लामबंद होने की एक बड़ी वजह यह नहीं कि आप मोदी-शाह की कमियों को खुल कर सामने लाते हैं?
-जब मैंने महसूस किया कि वर्तमान व्यवस्था और इस सरकार की नीतियां गलत हो रही हैं, तो मैंने उस बारे में अपनी बात रखना शुरू किया। मेरा भारतीय जनता पार्टी में किसी से भी व्यक्तिगत ईष्र्या या द्वेष नहीं है। सार्वजनिक तौर पर अक्सर कहा जाता है कि 2014 में मुझे चुनाव में टिकट नहीं मिला। मैं बता दूं कि तब मैंने खुद चुनाव लडऩे से मना कर दिया था। मैंने आलोचना इसलिए की, क्योंकि सरकार की नीतियों और कार्यशैली से मेरा मतभेद था।
-जब मैंने महसूस किया कि वर्तमान व्यवस्था और इस सरकार की नीतियां गलत हो रही हैं, तो मैंने उस बारे में अपनी बात रखना शुरू किया। मेरा भारतीय जनता पार्टी में किसी से भी व्यक्तिगत ईष्र्या या द्वेष नहीं है। सार्वजनिक तौर पर अक्सर कहा जाता है कि 2014 में मुझे चुनाव में टिकट नहीं मिला। मैं बता दूं कि तब मैंने खुद चुनाव लडऩे से मना कर दिया था। मैंने आलोचना इसलिए की, क्योंकि सरकार की नीतियों और कार्यशैली से मेरा मतभेद था।
राष्ट्रपति चुनाव में जीत को ले कर कितने आशान्वित हैं?
-पूरी तरह से आशान्वित हूं।
यह अप्रत्यक्ष चुनाव होता है, लेकिन भारत की जनता को क्या कहेंगे आपको राष्ट्रपति क्यों बनाया जाए?
-मेरा बहुत लंबा अनुभव है। कई मामलों का गंभीर जानकार हूं। साथ ही राष्ट्रपति भवन में ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है, जो सरकार को समय-समय पर सही मशविरा देता रहे और कार्यपालिका जब संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करे, तो उसे ऐसा करने से रोके। संविधान के अनुसार यही भूमिका है राष्ट्रपति की। बाकी समय तो उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह पर चलना होगा। उनको सरकार को मशविरा देने का अधिकार है, यह कहने का अधिकार है कि संवैधानिक सीमा कहां समाप्त होती है। यह मैं बखूबी जानता हूं और इसको निभाऊंगा।
-पूरी तरह से आशान्वित हूं।
यह अप्रत्यक्ष चुनाव होता है, लेकिन भारत की जनता को क्या कहेंगे आपको राष्ट्रपति क्यों बनाया जाए?
-मेरा बहुत लंबा अनुभव है। कई मामलों का गंभीर जानकार हूं। साथ ही राष्ट्रपति भवन में ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है, जो सरकार को समय-समय पर सही मशविरा देता रहे और कार्यपालिका जब संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करे, तो उसे ऐसा करने से रोके। संविधान के अनुसार यही भूमिका है राष्ट्रपति की। बाकी समय तो उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह पर चलना होगा। उनको सरकार को मशविरा देने का अधिकार है, यह कहने का अधिकार है कि संवैधानिक सीमा कहां समाप्त होती है। यह मैं बखूबी जानता हूं और इसको निभाऊंगा।
मायावती ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया है
-देखा मैंने। अभी से 18 जुलाई तक बहुत परिवर्तन होंगे। क्या मायावती अपना फैसला बदल सकती हैं?
नहीं उस बारे में नहीं, लेकिन बहुत सी परिस्थितियां बदलेंगी 16-17 जुलाई तक।
-देखा मैंने। अभी से 18 जुलाई तक बहुत परिवर्तन होंगे। क्या मायावती अपना फैसला बदल सकती हैं?
नहीं उस बारे में नहीं, लेकिन बहुत सी परिस्थितियां बदलेंगी 16-17 जुलाई तक।
क्या मौजूदा परिस्थितियों में राष्ट्रपति के लिए कुछ अतिरिक्त सजगता और सक्रियता जरूरी हो जाएगी?
-बिल्कुल जरूरी हो जाएगी।
-बिल्कुल जरूरी हो जाएगी।