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आपदा के इस दौर में जनप्रतिनिधियों को संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा

locationनई दिल्लीPublished: Apr 10, 2020 10:50:08 pm

Submitted by:

Prashant Jha

पत्रिका के शुक्रवार के अंक में प्रकशित राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी के अग्रलेख ‘प्रयासों पर पत्थर’ पर पाठकों का कहना है कि आपदा के इस दौर ,में जनप्रतिनिधियों को संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा। संकट की इस घड़ी में यदि जनप्रतिनिधि निजी हितों का त्याग करें और न्यायपालिका कड़ा रुख अख्तियार करे तो कोरोना के खिलाफ जंग में हमारी जीत सुनिश्चित होगी। पाठको की प्रतिक्रियाएं….

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जिम्मेदार भूमिका नहीं

प्रयासों पर पत्थर आलेख एक तरह से जिम्म्मेदारों की अक्ल पर पड़े पत्थर को ही दर्शाता है। विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की भूमिका इस संदर्भ में कतई प्रभावी नहीं है। बस यही कहा जा सकता है। हे ईश्वर, ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।
– डॉ.प्रताप राव कदम, वरिष्ठ प्रोफेसर, खंडवा
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चौथे स्तम्भ की प्रभावी भूमिका
गुलाब कोठारी के आलेख ने वास्तव में जिम्मेदार चौथे स्तंभ की भूमिका निभाई है, जो देश में सच्चाई है, उसको सामने लाकर रखा। खासकर देशभर में अलग-अलग जगह हुई पथराव कीघटनाएं एक ही समुदाय विशेष से जुड़ी हैं, इसका उल्लेख किया गया है। ऐसी घटना वास्तव में प्रयासों पर पत्थर ही है।
– अमोल भगत, जनप्रतिनिधि, बुरहानपुर
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नियम तोड़े तो हालात विकराल ही होंगे
देश ही नहीं पूरे विश्व में कोरोना का कहर देखा जा रहा है। केंद्र सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि लॉकडाउन का पालन करना ही इसका सुरक्षा कवच है। बावजूद इसके कई लोग नियमों की अनदेखी कर खुद को तो जोखिम में डाल ही रहे हैं, दूसरों के लिए भी बड़ी मुसीबत पैदा कर रहे हैं। जयपुर हो या इंदौर या फिर कोई अन्य शहर जहां पर कई उदाहरण सेवा के नाम पर सामने आ रहे हैं। ऐसे में गुलाब कोठारी जी का यह आलेख निश्चित तौर एक सीख देता है कि यदि नियम बने हैं तो उनका पालन करना ही जरूरी है। नियम तोड़े तो हालात विकराल ही होंगे।
– अशोक यादव, खरगोन
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राजनीतिक हितों की चिंता
लॉकडाउन का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है। कुछ लोग अपने राजनीतिक हित के लिए सोशल डिस्टेंसिंग भूलते जा रहे हैं। अच्छा तो तब होता जब सारे लोग घरों
के भीतर होते और पुलिस को लाठी लेकर चौराहों पर खड़े होने की जरूरत नहीं पड़ती। कोरोना रोकने के प्रयासों की राह में जिम्मेदार ही अड़चन में डाल रहे
हैं। कोठारी जी ने सत्य लिखा है।
– भारतशरण सिंह, पेंशनर्स, रीवा
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निर्देशों का सख्ती से पालना हो
कोरोना संक्रमण सबके लिए खतरा है, यह जानते हुए भी जो हमारी सेवा में दिनरात जुटे हैं, उन पर पत्थरबाजी या फिर उनसे कोई जानकारी छिपाना अपराध है। आज सरकार
के निर्देशों का पालन करने की जरूरत है। प्रशासन की कमियां यह हैं कि निर्देशों का सख्ती से पालन नहीं करा पाते, जिसके चलते ऐसी परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं।
– कमलाकांत गुप्ता, व्यापारी, रीवा
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सबकी भूमिका तय हो
कोरोना की इस वैश्विक महामारी का प्रकोप किसी धर्म या समुदाय, किसी पद या कद को देखते हुए नहीं पड़ेगा। वह तो पूरी मानवता पर कहर ढाएगा। ऐेसेे में आवश्यक है कि हम हम अपने पद कद अपने मान सम्मान प्रतिष्ठा की ओर से ध्यान हटाकर केवल शासन प्रशासन को सहयोग करते हुऐ अपनी स्वयं की भूमिका भी निर्धारित करें।
देवेन्द्र श्रीवास्तव, ट्रस्टी, गायत्री परिवार, जबलपुर
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सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लें
देशवासियों की जान बचाने और कोरोना को हराने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है। जहां इनका उल्लंघन हो रहा है, ऐसे मामलों को सुप्रीम कोर्ट को अवश्य अपने संज्ञान में लेकर निर्णय सुनाने चाहिए।
– मनीष चतुर्वेदी, शिक्षक, शासकीय विद्यालय, मंडला
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प्रतिनिधियों की लापरवाही
कोरोना को लेकर चल रही इस जंग के बीच जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही लापरवाही को लेकर गुलाब कोठारी ने सही प्रहार किया है। इसी बीच न्यायपालिका के
मौन रहने का जो मुद्दा उठाया गया है, वह भी प्रासंगिक है। हालिया परिस्थितियों में कोर्ट को स्व प्रेरणा से दिशा निर्देश जारी करना चाहिए।
– सुनील व्यास, सह सचिव, एआईएमपी, इंदौर

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प्रशासन की मदद करें
आज जिस तरह से महामारी फैल रही है, उससे सुरक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। स्वास्थ्य व प्रशासन के अमले पर जिस तरह से हमले हो रहे हैं, उसे नियंत्रण में
लेना बहुत जरूरी हो गया है। आलेख में इस तरह के मुद्दों को बहुत ही अच्छे से उठाया गया है। जरूरी है हम सभी सोचें और इस दिशा में मिलकर प्रयास करें।
बीमारी के नियंत्रण में पुलिस प्रशासन की मदद करे।
– परवेज खान सामाजिक कार्यकर्ता, इंदौर
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अनुशासन हमारी संस्कृति
अराजकता से महामारी पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता। अनुशासन में रहना हमारी संस्कृति है। यही हमें जीत दिलाएगी। लेकिन जिस तरह से लॉकडाउन में लोग उल्लंघन कर रहे हैं, वह चिंता का विषय है। लोगों को सोचना चाहिए कि पुलिस व प्रशासन उन्हीं की भलाई के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके लोग बेवजह घूमने से बाज नहीं आ रहे। कोरोना एक गंभीर संक्रमण है, इसे आम जनता को समझना होगा। कोठारी ने जयपुर में विधायक द्वारा उल्लंघन करने के मामले से अपनी बात कही है। निश्चित ही जब जनप्रतिनिधि ऐसा करेंगे तो जनता भी बाहर आएगी और नियमों का उल्लंघन करेगी। इसलिए जरूरी है जनप्रतिनिधि भी संयम में रहें।
– अमीर इंजीनियर, इंदौर
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आंखें खोलने वाला आलेख

गुलाब कोठारी का आलेख’ प्रयासों पर पत्थर’ आंखें खोलने वाला है। उन्होंने सही लिखा कि कोरोना के ज्यादा प्रभाव वाले शहरों को देखें तो स्पष्ट होता है कि जहां कानून तोड़ा जा रहा है, वहां महामारी का फैलाव भी ज्यादा हो रहा है। जयपुर में कफ्र्यू तोड़ कर राशन बांटने का मामला हो या इंदौर में स्वास्थ्यकर्मियोंसे दुव्र्यवहार और कुछ स्थानीय नेताओं की मनमानी की सजा आम नागरिकों को भुगतनी पड़ रही है। राजनेताओं के साथ आम नागरिकों को भी कानून तोडऩे से बचना चाहिए।
-सुरेंद्र तिवारी, रिटायर्ड नेवी ऑफिसर, भोपाल
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मनोबल तोड़ते हैं ये हमले
जांच करने वालों पर हमला करने वाले समुदाय विशेष के लोगों को सोचना चाहिए किवह उनकी सहायता के लिए ही आ रहे हैं, किसी तरह की नुकसान करने के लिए नहीं।
इंदौर में ही दो बार ऐसे हमले हो चुके हैं। ऐसे हमलों से अमले का मनोबल भी टूटता है और हमलावरों के प्रति मन में दुराभाव भी पैदा होता है ।
-विजय जोशी, पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल भोपाल
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आईना दिखाता आलेख
कोरोना वायरस महामारी को लेकर देश में फैल रही अव्यवस्था पर पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी जी ‘प्रयासों पर पत्थर’ आलेख पढ़ कर लोगों में निश्चित तौर पर जागरुकता का प्रसार होगा। कोठारी जी का आलेख देश दुनिया की जनता के लिए आईना है। इसे पढक़र संबंधित वर्ग को अपना तरीका व नजरिया बदलने की आवश्यकता है। हर व्यक्ति को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
-राजेश चौरसिया, संरक्षक, मध्यप्रदेश इंजीनियरिंग स्ट्रक्चरल एसोसिएशन, भोपाल
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जंग जीतने के लिए एकजुटता जरुरी
पत्रिका के प्रधान संपादक ने एक फिर शासन-प्रशासन के साथ ही उन लोगों को भी सच्चाई का आईना दिखाने का प्रयास किया है, जो सत्तादल में रहने के साथ ही
अपने ही सरकार के बनाए नियम क़ानून को ठेंगा दिखाने का प्रयास कर रहे है। इसके बाद यदि बात बिगड़ती है तो सारा ठीकरा पुलिस और प्रशासन पर फोड़ दिया जाएगा।
इस तरह से नियमों का उल्लंघन स्वयं सत्तादल के नेताओं द्वारा किया जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। कोरोना महामारी से बिना एकजुटता जंग नहीं जीती जा सकती
है। इसमें सभी की सहभागिता होनी चाहिए। कुछ दृश्यों में सामने आता है कि आमजन अब भी महामारी को लेकर गंभीर नहीं है, जो चिंता का विषय है।
– दयाल वासनिक, बालाघाट
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मानवता के दुश्मन
कोरोना के संकट ने सभी दूरियों को खत्म कर लोगों में मानवता का जज्बा फिर जगाया है। जो भी लोग इस दौर में राजनीति या मदद करने वालों को रोकने का प्रयास
कर रहे हैं, वे मानवता के दुश्मन हैं। कोठारी ने अपने लेख में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाते हुए जिम्मेदारों की जमकर खिंचाई की है।
– मधुसूदन चौबे, रिटायर्ड प्रिंसिपल, शिवपुरी
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सरकारें ले सबक
जिम्मेदार स्तरों से लॉकडाउन व निषेधाज्ञा का उल्लंघन इस महामारी के दौर में गंभीर मामला है। लोगों तो जागरूक होना ही चाहिए, सरकार को भी सकल समाज के हित
में कड़ा रुख अपनाना चाहिए, जो कम दिख रहा है। सरकारों के उदासीन रवैये और जनप्रतिनिधियों द्वारा कानून का उल्लंघन करने पर गुलाब कोठारी का लेख
सरकार के साथ समाज को भी चेताने वाला है। उम्मीद की जानी चाहिए तक इससे देश भर की सरकारें सबक लेंगी।
– रघुराज सिंह कंषाना, पूर्व विधायक, मुरैना
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