क्योंकि : जानना जरूरी है…
छोटे से देश का बड़ा प्रयास-
कुल मिलाकर इस छोटे से देश का यह बड़ा प्रयास है। कतर की सीमाएं सऊदी अरब से सटी हैं और आकार में यह लॉस एंजिल्स काउंटी के बराबर है। तेल समृद्ध यह छोटा देश वैश्विक मंच पर लंबे समय से मध्यस्थ के रूप में बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त करता रहा है। अंतरराष्ट्रीय मामलों में मध्यस्थ बनने के लिए इसका अभियान 1995 में शुरू हुआ, जब हमद बिन खलीफा अल थानी सत्ता में आए। 2003 में संविधान अपनाने के बाद इसने मध्यस्थता सिद्धान्त को केन्द्रीय भूमिका में रखा।
क्या मध्यस्थ के रूप में स्थापित होगा? –
किंग्स कॉलेज, लंदन के स्कूल ऑफ सिक्योरिटी स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर डेविड रॉबट्र्स कहते हैं कि ऐसा लगता है कि लोगों को निकालने में कतर ने अधिक सक्रिय भूमिका निभाई है। कतर ने यह सब विशुद्ध रूप से अमरीका के साथ अपने लिए उपयोगी जगह बनाने के लिए किया है। कतर के वासेदा विश्वविद्यालय में इस्लामिक एरिया स्टडीज के अध्यक्ष अब्दुल्लाह बाबूद कहते हैं कि कतर निश्चित रूप से विश्वसनीय, प्रभावशाली और सक्षम तटस्थ मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका को आगे ले जाएगा।
सभी पक्षों ने सीखा सबक-
विशेषज्ञ कहते हैं कि कतर के अमरीका और ईरान से अच्छे रिश्ते हैं। वह दोनों में सुलह कराने में मदद करेगा, बशर्ते संयुक्त व्यापक कार्य योजना वार्ता के अच्छे परिणाम मिलें। ऐसा लगता है कि कतर, यूएस-ईरान, सऊदी अरब-टर्की, तेहरान और खाड़ी के बीच विवादों को हल करने मेंं मदद के लिए सही जगह पर है। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं है, मध्य पूर्वी राजनीति में तो निश्चित रूप से नहीं। पर, ऐसा लगता है कि सभी पक्षों ने हाल की घटनाओं से एक कठिन सबक सीखा है।