scriptप्रसंगवश : परीक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान | Question mark on the credibility of the examination system | Patrika News

प्रसंगवश : परीक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान

locationनई दिल्लीPublished: Oct 12, 2021 08:36:47 am

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Patrika Desk

– रीट पेपर लीक की घटना ने साबित किया है कि परीक्षा तंत्र में आसानी से सेंधमारी की जा सकती है।- सरकार परीक्षा के सफल आयोजन के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी पर्चा लीक होना नहीं मान रहा। दूसरी ओर सवाल अब भी अपनी जगह हैं कि तय समय से कई घंटे पहले पेपर बाहर कैसे आया, कहां और किस- किस तक पहुंचाया गया? परीक्षा तंत्र से जुड़े कर्मचारियों या अधिकारियों की इसमें कितनी संलिप्तता है?

प्रसंगवश : परीक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान

प्रसंगवश : परीक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान

अध्यापक पात्रता परीक्षा (रीट) पेपर लीक मामले में वांटेड बत्तीलाल एसओजी को खूब छकाने के 14 दिन बाद आखिर तीर्थधाम केदारनाथ में हत्थे चढ़ ही गया। अब उससे पूछताछ में ही सामने आ सकता है कि नकल की पटकथा कैसे लिखी गई? हमारी प्रणाली को पंगु बनाने पर तुले कौन-कौन ‘महारथी’ मुंह छुपाए हुए हैं? इस संगठित गिरोह का सूत्रधार कौन है? उसकी इस मामले में क्या भूमिका थी? रीट पेपर कब, कैसे और कहां से लीक किया गया?

बत्तीलाल को भी जांच में फिलहाल सिर्फ एक कड़ी माना जा रहा है। उससे पहले 15 लोगों को एसओजी गिरफ्तार कर चुकी है। अब तक सरगना तक नहीं पहुंचा जा सका है। सरकार परीक्षा के सफल आयोजन के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी पर्चा लीक होना नहीं मान रहा। दूसरी ओर सवाल अब भी अपनी जगह हैं कि तय समय से कई घंटे पहले पेपर बाहर कैसे आया, कहां और किस- किस तक पहुंचाया गया? परीक्षा तंत्र से जुड़े कर्मचारियों या अधिकारियों की इसमें कितनी संलिप्तता है? मामला उजागर होने के बाद बत्तीलाल के नेताओं के साथ जिस तरह के फोटो सामने आए, उससे उसके प्रभाव का तो खुलासा होता ही है, संदेह भी उठता है कि कहीं यह अपराधियों और नेताओं की मिलीभगत का खेल तो नहीं है।

रीट पेपर लीक की घटना ने साबित किया है कि हमारे परीक्षा तंत्र में आसानी से सेंधमारी की जा सकती है। ऐसी घटनाएं लगातार सामने आने से सरकार और परीक्षा एजेंसियों की साख गिरती है। संगठित गिरोह परीक्षा के सुरक्षित संचालन की प्रणाली में खामियों का पूरा फायदा उठाने की फिराक में रहते हैं। यह खेल मिलीभगत के बिना पूरा नहीं हो सकता। शॉर्टकट से पास होने की चाह रखने वाले अभ्यर्थी ऐसे गिरोह के आसान टारगेट होते हैं। नकल के लिए जो तरीके अपनाए जा रहे हैं, वे भी सभी को चौंकाते हैं। ऐसे में मेहनत के बूते ईमानदारी से परीक्षा देने वाले लाखों अभ्यर्थियों के अरमानों पर पानी फिर जाता है। उनके परिजन भी खासे प्रभावित होते हैं, मानसिक तनाव झेलते हैं और तंत्र से भरोसा टूटता है। इस मामले का शीघ्रता से खुलासा होना चाहिए। आखिर २५ लाख से अधिक अभ्यर्थियों का भविष्य और उम्मीदें इस परीक्षा से जुड़ी हुई हैं। भविष्य में भी भर्तियों के लिए परीक्षाएं होती रहेंगी। सख्त सजा का प्रावधान लागू कर इस तरह की धांधली को रोका जाना चाहिए। (र.श.)

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