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Opinion: भारत से भेदभाव को लेकर उठे सवाल

locationनई दिल्लीPublished: Sep 28, 2020 05:00:23 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महामारी कोरोना से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल उठाए और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को आश्वस्त किया कि भारत वैक्सीन उत्पादन और आपूर्ति की क्षमता का इस्तेमाल पूरी मानवता की मदद के लिए करेगा।

PM Narendra Modi lucknow visit update

Chief Minister wrote to Prime Minister Narendra Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए इस अंतरराष्ट्रीय संगठन में भारत की भागीदारी बढ़ाने को लेकर जो तीखे सवाल उठाए हैं, उनसे करोड़ों देशवासियों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। संयुक्त राष्ट के शांति अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी के बाद भी भारत को अब तक सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता नहीं दी गई। देश की वर्षों पुरानी इस मांग का हवाला देकर प्रधानमंत्री ने पूछा कि आखिर भारत को कब तक संयुक्त राष्ट्र के भेदभाव का शिकार होना पड़ेगा?
कब तक भारत को आम सदस्य के तौर पर अपनी वफादारी साबित करनी होगी? उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महामारी कोरोना से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी सवाल उठाए और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को आश्वस्त किया कि भारत वैक्सीन उत्पादन और आपूर्ति की क्षमता का इस्तेमाल पूरी मानवता की मदद के लिए करेगा। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने पिछले हफ्ते कहा था कि दुनिया ऐसे अंधे मोड़ पर खड़ी है, जहां से आगे बढऩे के लिए असाधारण एकता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा कोशिशों की जरूरत है। विडम्बना यह है कि इससे पहले भी कई मौकों पर भारत को ऐसी साझा कोशिशों में शामिल तो किया जाता रहा, लेकिन जब सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट की मांग उठी तो संयुक्त राष्ट्र ने हाथ खड़े कर दिए।

चीन को छोड़ कई देश विभिन्न मंचों से भारत को स्थाई सीट देने का समर्थन करते रहे हैं। भारत के रास्ते में चीन सबसे बड़ा रोड़ा है। उसके पास वीटो पावर है, जिसका इस्तेमाल वह भारत की मांग के खिलाफ करता रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत की मांग का समर्थन कर चीन को और भड़का दिया है। इससे पहले बराक ओबामा के दौर में भी अमरीका ने सुरक्षा परिषद में भारतीय दावेदारी का समर्थन किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। पिछले जून के चुनाव में भारत को आठवीं बार अस्थाई सदस्य ही चुना गया। यह सदस्यता 2021-22 के लिए होगी। अगर इतिहास पर गौर करें, तो भारत को अस्थाई सदस्यता देने में भी आनाकानी होती रही है। यह सदस्यता दो साल के लिए होती है। पहली बार भारत को 1950-51 के लिए अस्थाई सदस्यता दी गई थी। बीच-बीच में लम्बे समय तक उसे इस सदस्यता से भी वंचित रखा गया।

कई साल से यह बात दोहराई जा रही है कि संयुक्त राष्ट्र में बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के अनुरूप सुधार की प्रक्रिया चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया कि बदलते वक्त के हिसाब से यह संगठन कब तक बदलेगा? संयुक्त राष्ट्र 24 अक्टूबर को अपने 75 साल पूरे करने जा रहा है। पिछले कई साल से दो स्थाई सदस्यों अमरीका और चीन के बीच चल रहे शीत युद्ध ने इस संगठन का सिरदर्द बढ़ा रखा है। जब तक चीन की चाल और चालाकियां नहीं बदलेंगी, भारत के लिए स्थाई सीट सपना ही रहेगी।

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