गवर्नर दास ने पिछले दिनों ऐसे संकेत जरूर दिए थे कि यदि महंगाई की दर नियंत्रित रहती है, तो ब्याज दरों में बदलाव किए जा सकते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो खाद्य पदार्थों की महंगाई दर तो कम रही है, लेकिन अन्य प्रमुख क्षेत्रों में महंगाई ऊंचाई पर बनी हुई है, जिनमें गैर-खाद्य व गैर-ईंधन वाले क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा भी अन्य घरेलू और वैश्विक मोर्चों पर मिश्रित संकेतक ही मिल रहे हैं। इन सबके बीच रिजर्व बैंक का रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कमी करने का निर्णय थोड़ा चौंकाने वाला जरूर हो सकता है, लेकिन इतना जरूर है कि कारोबारी माहौल को बेहतर करने के लिहाज से यह अच्छा कदम ही कहा जाएगा। यदि बैंकों ने रेपो रेट में कमी का लाभ उपभोक्ताओं को हासिल होने दिया, तो आम लोगों को पहले की तुलना में सस्ते कर्ज उपलब्ध होंगे।
रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर के साथ-साथ किसानों को भी इस फैसले के सामने आने वाले परिणामों का बड़ा लाभ मिल सकता है। विनिर्माण क्षेत्र में कारोबारी गतिविधियों के बढऩे से पेशेवर लोगों और श्रमिकों को काम के और ज्यादा अवसर मिलेंगे। आने वाले चुनाव के मद्देनजर भी यह फैसला सरकार को सुकून देने वाला हो सकता है। अपने अंतरिम बजट में सरकार ने रियल एस्टेट को मजबूती देने के संकेत दिए हैं। उम्मीद की जा सकती है कि रिजर्व बैंक की भविष्यवाणी के अनुसार ही जीडीपी 7.4 फीसदी रखने में सरकार सफल होगी और कारोबारी कठिनाइयों से जूझ रही जनता राहत महसूस करेगी।