कथरादा को 34 साल की युवावस्था में सजा हुई थी और 60 साल की उम्र में उन्हें तब रिहा किया गया जब दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद से मुक्ति मिली। कथरादा ने अपनी जिन्दगी के 26 साल और तीन महीने रोबेन द्वीप जेल और पोल्समूर जेल में बिताए।
12 वर्ष की अल्पायु में ही वे यंग कम्युनिस्ट लीग द्वारा चलाए जाने वाले रंगभेद विरोधी यूथ क्लब में शामिल हुए थे। उनका ‘मदीबा’ (नेल्सन मंडेला को लोग इसी नाम से सम्मान देते हैं) के साथ लम्बा साहचर्य रहा।
नेल्सन मंडेला की पूर्व पत्नी विनी मंडेला ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मदीबा का जब निधन हुआ तो वह अपनी आत्मा का एक हिस्सा कैथी के पास छोड़ गए थे। दक्षिण अफ्रीकियों के लिए वे कैथी थे और युवाओं के बीच अंकल कैथी के नाम से प्रसिद्ध थे।
रंगभेद के दौरान जिन लोगों ने उन पर अत्याचार किया था, उनके प्रति भी उनके मन में कभी कोई दुर्भावना नहीं रही। मदीबा के मंत्रिमंडल में कैथी केवल दो दिन ही मंत्री रहे। उनके पास सेवा सुधार विभाग था। बाद में उन्होंने मदीबा के राजनीतिक और संसदीय सलाहकार के रूप में सेवाएं दी। उनका मानना था कि इस पद पर रहकर वे नीतियों को बेहतर तरीके से अमलीजामा पहना सकते हैं।
जेल की सजा पर उन्हें बहुत अफसोस नहीं था। भले ही इसके लिए वे अपने परिवार और बच्चों को समय नहीं दे सके। उन्होंने अन्य लोगों की तरह ही जेल में रहकर अध्ययन किया और इस दौरान उन्होंने चार डिग्रियां लीं। रंगभेद के खिलाफ संघर्ष को लेकर कैथी एक क्रांतिकारी की तरह उज्ज्वल पक्ष देखते थे और उनका मानना था कि उनके संघर्ष की सफलता तय है।
सफलता मिलने के बाद वे शासन करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा था कि वे जेल में अधिक सुरक्षित थे क्योंकि रंगभेद शासन की पुलिस उन पर हमला नहीं कर सकती थी और न ही उन्हें गोली मार सकती थी।
हाल ही में कैथी ने भ्रष्ट कारनामों में शामिल होने के लिए दक्षिण अफ्रीका के वर्तमान राष्ट्रपति याकूब ज़ुमा की कड़ी आलोचना की थी और एक खुला पत्र लिखकर उनसे इस्तीफा देने की मांग भी की थी। वे आखिरी क्षण तक बड़े भाई की तरह बने रहे।
– कैच न्यूज से