राजनीति ने देश का ऐसा भट्टा बिठाकर रख दिया है कि सुधार की उम्मीद करना भी अब बेमानी सा लगने लगा है।
राजनीति ने देश का ऐसा भट्टा बिठाकर रख दिया है कि सुधार की उम्मीद करना भी अब बेमानी सा लगने लगा है। खास बात ये कि जिन लोगों पर देश चलाने की जिम्मेदारी है, वही लोग माहौल बिगाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। कभी दादरी तो कभी मुजफ्फर नगर के दंगों के रूप में भड़कने वाली आग तो कभी मालदा से उठने वाली चिंगारी! हर राजनीतिक दल एक दूसरे को अनुशासन का पाठ पढ़ाता नजर तो आता है लेकिन खुद अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करना चाहता। खबर उत्तर प्रदेश से है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, माहौल वैसे-वैसे अशांत होता जा रहा है। या यूं कहा जाए कि माहौल को अशांत बनाया जा रहा है ताकि वोटों की फसल अच्छी तरह पक सके। उत्तर प्रदेश के जहानाबाद में पिछले दिनों हुए जातीय दंगों की आग अभी ठंडी नहीं पड़ी है कि नेता उसे हवा देने में जुट गए हैं।
क्षेत्र को अशांत घोषित किए जाने के बावजूद नेता रैलियां करने पहुंच रहे हैं। ऐसे ही एक भाजपा नेता विनय कटियार को गिरफ्तार किया गया है। ये वही कटियार हैं, बाबरी ढांचे के गिराए जाने में जिन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। वैसे तो कटियार इन दिनों हाशिए पर चल रहे हैं लेकिन ऐसे माहौल वाले इलाकों में वे पहुंच ही जाते हैं।
सवाल उठता है कि केन्द्र की सत्ता में बैठी भाजपा को क्या कटियार जैसे नेताओं को रोकना नहीं चाहिए? जिन राज्यों में भाजपा सत्ता में है, वहां माहौल खराब होने पर विपक्षी दलों के नेताओं के दौरों पर वह आपत्ति उठाती है। तो क्यों नहीं कटियार या उन जैसे नेताओं पर पाबंदी लगाती है?
भाजपा हो या दूसरे दल, चुनाव जीतने के लिए दंगों को क्यों भुनाना चाहते हैं? भाजपा डेढ़ साल से केन्द्र की सरकार चला रही है। उसे अपनी उपलब्धियों के सहारे उत्तर प्रदेश की चुनावी नैया पार लगाने पर ध्यान देना चाहिए। प्रदेश की 80 में से 73 लोकसभा सीटें भाजपा की झोली में डालने वाली जनता पर भाजपा को भरोसा होना चाहिए।
दंगों की आग को हवा देकर सत्ता पाने की लालसा से तो यही लगता है राजनीतिक दल मतदाताओं की समझ को कम करके आंकने लगे हैं। ऐसे दलों और राजनेताओं को मतदाता अनेक बार सबक सिखा चुके हैं और आगे भी सिखाते रहेंगे। भाजपा केन्द्र की सत्ता में है इसलिए उसकी जिम्मेदारी अधिक बनती है। चुनाव में हार-जीत से बड़ी बात देश की एकता बनाए रखना है। देश की एकता बनी रहेगी तभी राजनीतिक दलों का वजूद भी कायम रह पाएगा और उनकी राजनीति भी बरकरार रहेगी।