मधुमेह रोगियों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो जल्द ही भारत को डायबिटीज की राजधानी कहा जाने लगेगा। भारत में एक ओर जहां लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता वहीं दूसरी ओर आवश्यकता से अधिक भोजन या कैलोरीज का सेवन कर एक बड़ी जनसंख्या इस रोग की ओर बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 80 प्रतिशत डायबिटीज से मृत्यु निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती है। इस बीमारी में पेंक्रियाज से बनने वाली इंसुलिन या तो कम प्रभावी होती है या उसकी मात्रा कम स्त्रावित होती है।
हमारे यहां मुख्यत: टाइप-2 डायबिटीज होती है। अधिक रक्त ग्लूकोज की निरन्तरता शरीर के सभी प्रमुख अंगों को प्रभावित करती है। यह दिल को बीमार व मन को लाचार बनाकर गुर्दे को अक्षम कर देता है जिससे जीना दुश्वार हो जाता है। इसका शीघ्र निदान न हो तो कष्ट अनेकों देता है। ये व्याधि मुख्य रूप से गुर्दा, नेत्र, हृदय तथा तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है। उचित उपचार द्वारा काफी हद तक इससे बचा जा सकता है। यह रोग मोटे व्यक्तियों में, अनुवांशिक कारणों से, शारीरिक श्रम की कमी से, शहरों में या मेट्रो में रहने वालों व तनावग्रस्त व्यक्तियों में अधिक होता है।
यह भी रोचक है कि जो शिशु जन्म के समय सामान्य से कम या अधिक वजन के हुए उन्हें भी भविष्य में डायबिटीज की आशंका अधिक रहती है। स्वस्थ जीवन शैली, समय पर सोना तथा जागना, समय पर भोजन, उपयुक्त व्यायाम, तनाव से बचाव जैसे चिकित्सकीय सुझाव और नियमित दवा से इस रोग को रोका जा सकता है। नित्य ताजे फलों का सेवन डायबिटीज रोग से बचाता है। लोग अक्सर कहते हैं, डायबिटीज से डराइये मत। इस रोग के बारे में जानकारी होने से तनाव होता है। किन्तु क्या शतुरमुर्ग की तरह बर्ताव करने से हम इसके दुष्प्रभावों से बच सकते हैं? जो रोगी डायबिटीज के बारे में जितनी अधिक जानकारी व सावधानी रखता है वह उतना ही दीर्घायु होता है।
इस तरह के जीवनपर्यन्त चलने वाले रोग के बारे में जागरूकता लाने की अत्यधिक आवश्यकता है। यह आश्चर्यजनक सत्य है कि लगभग दो-तिहाई डायबिटीज के रोगी इससे ग्रसित होने से बच सकते हैं। यह संभव है उचित जीवन शैली अपनाकर। यह जानकारी भी राहत देने वाली हो सकती है कि डायबिटीज की ज्यादातर दवाएं सुरक्षित हैं तथा इनके साइड इफैक्ट्स नगण्य हैं। रोग को लेकर अनुसंधान की प्रक्रिया लगातार जारी है। भविष्य में उम्मीद की जा रही है कि इन्सुलिन की गोली या स्टेम सैल प्रत्यारोपण द्वारा इस रोग का सुगम इलाज संभव होगा।