Patrika Opinion: आपसी सहमति से हल हो नदी जल विवाद
Published: Aug 16, 2023 09:12:41 pm
दोनों राज्यों में पानी का मसला जितना भावनात्मक है, उतना ही राजनीतिक भी। दोनों राज्यों के नेता इस मसले को अपने हिसाब से भुनाते भी हैं। राजनीतिक हितों के कारण नेता भी जोखिम लेने से कतराते हैं। कावेरी के अलावा दूसरी नदियों के जल बंटवारे को लेकर भी राज्यों के बीच तकरार है।


Patrika Opinion: आपसी सहमति से हल हो नदी जल विवाद
कावेरी नदी जल बंटवारे को लेकर एक बार फिर दक्षिण के दो प्रमुख राज्यों के बीच राजनीतिक और कानूनी लड़ाई की तलवारें खिंच गई हैं। इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के देरी से प्रभावी होने और सामान्य वर्षों की अपेक्षा कम बारिश होने के कारण दोनों राज्यों में पानी के बंटवारे को लेकर तकरार की स्थिति बन गई है। कर्नाटक कावेरी नदी पर बने अपने बांधों में कम पानी होने का हवाला देकर तमिलनाडु के लिए निर्धारित मात्रा में पानी नहीं छोड़ रहा है तो तमिलनाडु अपने हिस्से के पानी की मांग को लेकर अब शीर्ष अदालत पहुंच चुका है। इससे पहले तमिलनाडु ने कावेरी जल प्रबंधन समिति की बैठक में भी अपने हिस्से का पानी न मिलने का मुद्दा उठाया था और समिति से कर्नाटक को उचित निर्देश देने की मांग की थी। कर्नाटक का तर्क है कि सामान्य बारिश की स्थिति में कावेरी पंचाट के अंतिम फैसले के मुताबिक तमिलनाडु के लिए निर्धारित मात्रा में पानी छोड़ा जाता है पर इस साल संकट की स्थिति है और दोनों राज्यों को मिलकर इसका सामना करना चाहिए।