लकीर पीटने से नहीं थमेंगे सडक़ हादसे
बेलगाम रफ्तार, ओवरलोडिंग व क्षतिग्रस्त सडक़ों की वजह से देश में ऐसे हादसों की लंबी फेहरिस्त है। देश में सडक़ों का जाल जिस रफ्तार से बढ़ा है, उससे भी ज्यादा रफ्तार से सडक़ हादसे होते दिख रहे हैं।

क्षमता से अधिक सवारियों से भरी बस को गन्तव्य तक पहुंचाने की जल्दी ने मंगलवार को मध्यप्रदेश के सीधी-सतना मार्ग पर बस की ४७ सवारियों को जलसमाधि दिला दी। प्रारंभिक जानकारी में जो तथ्य सामने आया है, उसके मुताबिक नेशनल हाइवे पर लगे जाम से बचने के लिए बस चालक रूट बदलते हुए नहर के रास्ते चला गया। संकरे मार्ग पर, बस बेकाबू होकर नहर में गिर गई और यह हादसा हो गया। सडक़ सुरक्षा माह के दौरान सुरक्षित सफर का ढोल पीटने वाले अब इस हादसे के बाद लकीर पीटने का काम कर रहे हैं। जांच के आदेश दिए गए हैं और मृतकों के परिजनों व घायलों को सरकार के स्तर पर मुआवजे का ऐलान किया गया है।
मोटे तौर पर यही बात सामने आ रही है कि बस यदि अपना रूट नहीं बदलती तो हादसा नहीं होता। लेकिन यह भी एक तथ्य है कि क्षमता से अधिक सवारियों की वजह से हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ी है। सडक़ सुरक्षा माह में तो कम से कम यह उम्मीद की ही जानी चाहिए थी कि यातायात नियमों के उल्लंघन करने वालों पर सख्त निगाह रखी जाए।
पिछले सालों में मध्यप्रदेश के ऐसे ही भयावह सडक़ हादसों से सबक लेने की कोशिश भी किसी ने नहीं की। बेलगाम रफ्तार, ओवरलोडिंग व क्षतिग्रस्त सडक़ों की वजह से देश में ऐसे हादसों की लंबी फेहरिस्त है। देश में सडक़ों का जाल जिस रफ्तार से बढ़ा है, उससे भी ज्यादा रफ्तार से सडक़ हादसे होते दिख रहे हैं। इन हादसों में मरने वालों का आंकड़ा भी साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। हादसा हो जाने के बाद ही जिम्मेदारों की नींद खुलती है। या सीधी-सतना मार्ग पर कोई यह देखने वाला नहीं था कि ३२ जनों की क्षमता वाली बस में दोगुनी सवारियां क्यों भरी गईं? करीब-करीब खत्म हो चुकी बस का परमिट रद्द करने की भी खानापूर्ति की गई है। या इस बात की किसी को चिंता नहीं रही कि एक तो बसंत पंचमी के सावे और दूसरे प्रतियोगी परीक्षाओं के चलते इस मार्ग पर यात्री भार ज्यादा रह सकता है। दुर्भाग्य यह है कि न केवल सीधी-सतना मार्ग पर, बल्कि देश भर में कहीं भी ऐसी चिंता नजर नहीं आती।
यह दुर्योग ही कहा जाएगा कि पहली बार मनाए जा रहे सडक़ सुरक्षा माह का आगाज गुजरात के सूरत में उस हादसे से हुआ जिसमें सडक़ किनारे सो रहे श्रमिकों को बेकाबू ट्रोले ने कुचल दिया था और समापन के ऐन पहले यह हादसा हो गया। ऐसे हादसे तब तक नहीं थमेंगे, जब तक कि वाहन चलाने को लेकर नियम-कायदों पर अमल के मामले में ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अमल नहीं होगा। जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त और प्रभावी कानूनी प्रावधान भी तय करने होंगे।
Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें (Hindi News App) Get all latest Opinion News in Hindi from Politics, Crime, Entertainment, Sports, Technology, Education, Health, Astrology and more News in Hindi