आपकी साधना करने का एक मुख्य कारण यह भी है। अगर आप इन कर्मों को इनकी अपनी धीमी गति से चलने देंगे, तो इनका असर शरीर पर दिखाई देगा। अगर इनकी रफ्तार तेज होती है, तो शरीर पर इनका कोई असर नहीं पड़ता। हो सकता है, इसके मनोवैज्ञानिक असर हों। लेकिन अगर आप इन्हें बहुत तेजी से चलने दें, तो ये केवल ऊर्जा के स्तर पर ही व्यक्त होंगे।
फिर इनके पास मनोवैज्ञानिक असर डालने का भी समय नहीं होगा। इसीलिए साधना करने का मकसद कर्मों को तेजी से काट डालना है, खत्म कर देना है, बिना किसी मनोवैज्ञानिक या शारीरिक असर के। लेकिन कुछ लोग इसे धीरे-धीरे करना पसंद करते हैं।