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आत्म-दर्शन : साधना की गति तेजी से कर्मों को काटने के लिए

हो सकता है, इसके मनोवैज्ञानिक असर हों। लेकिन अगर आप इन्हें बहुत तेजी से चलने दें, तो ये केवल ऊर्जा के स्तर पर ही व्यक्त होंगे।

Sep 30, 2020 / 02:56 pm

shailendra tiwari

साधना करने का मकसद कर्मों को तेजी से काट डालना है, खत्म कर देना है, बिना किसी मनोवैज्ञानिक या शारीरिक असर के। जब आपके कर्म तेजी से कटने लगते हैं, तो आप सोचने लगते हैं, क्या मैं बीमार हो जाऊंगा? क्या मुझे चोट लग जाएगी? 99.99 फीसदी मामलों में ऐसा कुछ नहीं होता, क्योंकि जब कर्मों का बहाव बहुत तेज होता है, तो उनके पास शारीरिक रूप में प्रकट होने का समय नहीं होता।
आपकी साधना करने का एक मुख्य कारण यह भी है। अगर आप इन कर्मों को इनकी अपनी धीमी गति से चलने देंगे, तो इनका असर शरीर पर दिखाई देगा। अगर इनकी रफ्तार तेज होती है, तो शरीर पर इनका कोई असर नहीं पड़ता। हो सकता है, इसके मनोवैज्ञानिक असर हों। लेकिन अगर आप इन्हें बहुत तेजी से चलने दें, तो ये केवल ऊर्जा के स्तर पर ही व्यक्त होंगे।
फिर इनके पास मनोवैज्ञानिक असर डालने का भी समय नहीं होगा। इसीलिए साधना करने का मकसद कर्मों को तेजी से काट डालना है, खत्म कर देना है, बिना किसी मनोवैज्ञानिक या शारीरिक असर के। लेकिन कुछ लोग इसे धीरे-धीरे करना पसंद करते हैं।

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