इस जगह पर पहुंचकर मुझे घूमना जितना अच्छा लगा, उतना ही अच्छा गांव के किसी छोटे से कैफे में बैठकर समय व्यतीत करना। यदि आप जाना चाहते हैं तो पहले कुल्लू पहुंचना होगा फिर तीर्थन घाटी होते हुए सैंज घाटी। यह घाटी अपने शांत, सुन्दर और अपने मनोरम वातावरण के लिए जानी जाती है। आप सुबह बिस्तर से उठकर जिधर भी देखेंगे, उधर हरियाली ही हरियाली मिलेगी। यह जगह घूमने-टहलने के अलावा कुछ दिनों तक रहकर आराम से अपनी छुट्टियों को बिताने के लिहाज़ से भी काफी अच्छी है।
सैंज घाटी में आने पर आपको कुछ छोटे-छोटे खूबसूरत गांवों का दीदार होता है, इन्हीं में से एक है, सैंज गांव। यहां लोग पहाड़ी गांवों की मौलिकता को देखने और अनुभव करने आते हैं। यह हिमाचल के बाकी गांवों जितना प्रसिद्ध नहीं है, जिससे यहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही अच्छा वातावरण और शुद्ध हवा मिलती है।
सैंज घाटी में आने पर आपको कुछ छोटे-छोटे खूबसूरत गांवों का दीदार होता है, इन्हीं में से एक है, सैंज गांव। यहां लोग पहाड़ी गांवों की मौलिकता को देखने और अनुभव करने आते हैं। यह हिमाचल के बाकी गांवों जितना प्रसिद्ध नहीं है, जिससे यहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही अच्छा वातावरण और शुद्ध हवा मिलती है।
घाटी में एक और गांव है, जिसे शांघड़ गांव के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर लकड़ी का बना शंगचुल महादेव का प्राचीन मंदिर है। इसका संबंध महाभारत काल से बताया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पांडव यहां पर कुछ समय रहे थे। यहां घास का मैदान है, जहां ट्रेडिशनल मेडिसिन की जानकारी मिलेगी।
इस घाटी में एक खूबसूरत झील भी है, जिसके किनारे आप बैठ सकते हैं लेकिन इसके पानी को छूना मना है। ऐसा कहा जाता है कि बंजार घाटी के एक देवता भुंगडु महादेव इस जगह पर आए थे, उनको यह जगह पसंद आ गई थी। इसकी वजह से पुंडरीक ऋषि की उनसे लड़ाई हो गई और कुछ पेड़ और घास झील में गिर गई, जो आज भी दिखाई देती है।
ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान को इस घाटी का सबसे बड़ा आकर्षण कहा जा सकता है। 620 वर्ग किमी में फैले इस उद्यान में प्रकृति के जो अद्भुत और विविधतापूर्ण नजारे देखने को मिलते हैं, वे कहीं और नहीं मिलेंगे। इस जगह पर बीस से अधिक प्रकार के वन आपको देखने को मिलेंगे। कहा जाता है कि इस जगह पर आठ सौ प्रकार के पौधे पाए जाते हैं। साथ ही, यह जगह 180 से भी अधिक परिंदों का घर है। इस जगह पर आपको तरह-तरह के पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी। यह यूनेस्को की वैश्विक विरासत का हिस्सा है।
अगर आपको मस्क डीयर, ब्राउन बीयर, गोराल, बर्फानी चीता, भराल, मोनल, कोकलास और बर्फानी कौआ आदि देखना हो तो इस घाटी में ट्रैकिंग कर सकते हैं। यदि यात्रा को और ज्यादा रोमांचक, विविधतापूर्ण और रोचक बनाना चाहते हैं तो रक्तिसार की चढ़ाई कर सकते हैं। सैंज नदी का उद्गम देख सकते हैं और अलपाइन के चरागाहों में अपना कैम्प लगा सकते हैं।
इस घाटी में एक खूबसूरत झील भी है, जिसके किनारे आप बैठ सकते हैं लेकिन इसके पानी को छूना मना है। ऐसा कहा जाता है कि बंजार घाटी के एक देवता भुंगडु महादेव इस जगह पर आए थे, उनको यह जगह पसंद आ गई थी। इसकी वजह से पुंडरीक ऋषि की उनसे लड़ाई हो गई और कुछ पेड़ और घास झील में गिर गई, जो आज भी दिखाई देती है।
ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान को इस घाटी का सबसे बड़ा आकर्षण कहा जा सकता है। 620 वर्ग किमी में फैले इस उद्यान में प्रकृति के जो अद्भुत और विविधतापूर्ण नजारे देखने को मिलते हैं, वे कहीं और नहीं मिलेंगे। इस जगह पर बीस से अधिक प्रकार के वन आपको देखने को मिलेंगे। कहा जाता है कि इस जगह पर आठ सौ प्रकार के पौधे पाए जाते हैं। साथ ही, यह जगह 180 से भी अधिक परिंदों का घर है। इस जगह पर आपको तरह-तरह के पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी। यह यूनेस्को की वैश्विक विरासत का हिस्सा है।
अगर आपको मस्क डीयर, ब्राउन बीयर, गोराल, बर्फानी चीता, भराल, मोनल, कोकलास और बर्फानी कौआ आदि देखना हो तो इस घाटी में ट्रैकिंग कर सकते हैं। यदि यात्रा को और ज्यादा रोमांचक, विविधतापूर्ण और रोचक बनाना चाहते हैं तो रक्तिसार की चढ़ाई कर सकते हैं। सैंज नदी का उद्गम देख सकते हैं और अलपाइन के चरागाहों में अपना कैम्प लगा सकते हैं।