नई दिल्लीPublished: Nov 02, 2021 10:13:36 am
Patrika Desk
- सांची स्थित स्तूप भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रेम, शांति और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इसकी बनावट और कारीगरी इतनी लाजवाब है कि 1989 में इसे यूनेस्को ने अपनी वैश्विक धरोहर में शामिल कर लिया और इसके संरक्षण का कार्य कर रहा है। यह जगह वास्तुकला की अद्भुत मिसाल के तौर पर जानी जाती है।
संजय शेफर्ड (ट्रैवल ब्लॉगर)
भोपाल यात्रा के दौरान एक दोस्त से मिलने विदिशा गया हुआ था और बेतवा नदी के खूबसूरत तट पर टहलते हुए मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि हम सब भारत की सबसे पुरानी पत्थर की संरचना के इर्द-गिर्द खड़े हैं। तभी उसने कहा चलो आज शाम सांची चलते हैं। 'सांची?', मैंने सवाल किया। उसने जवाब में कहा, 'हां, सांची' और कुछ ही देर बाद हम सब रायसेन जिले में स्थित इस छोटी सी ग्राम पंचायत में पहुंच गए। 'क्या यह वही सांची है, जिसे दुनिया भर में महात्मा बुद्ध की ऐतिहासिक और पुरातात्विक विरासत के रूप में जाना जाता है?' उसने कहा, 'यह वही जगह है और यहां पर एक नहीं अनेक मठ, मंदिर और बौद्ध स्मारक हैं। इन सभी संरचनाओं का निर्माण तीसरी शताब्दी के आस-पास कराया गया था, जिसकी वजह से ये स्मारक देश की सबसे पुरानी पत्थर की संरचनाओं में आते हैं।