scriptआत्म-दर्शन : अभिशाप नहीं है मृत्यु | Self-Darshan: Death is not a curse | Patrika News

आत्म-दर्शन : अभिशाप नहीं है मृत्यु

locationनई दिल्लीPublished: Mar 03, 2021 08:03:45 am

– नश्वरता या मृत्यु कोई अभिशाप नहीं है, यह सबसे बड़ा वरदान है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (ईशा फाउंडेशन के संस्थापक)

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (ईशा फाउंडेशन के संस्थापक)

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (ईशा फाउंडेशन के संस्थापक)

नश्वरता या मृत्यु कोई अभिशाप नहीं है, यह सबसे बड़ा वरदान है। आप सिर्फ कल्पना करें कि आप मर नहीं सकते। यानी आप जो भी कर लें, आप मर नहीं सकते। फिर देखिए कि वह कितना बड़ा अभिशाप होगा। हम इस तरह जीते हैं, मानो मृत्यु शब्द का उच्चारण करना भी वर्जित हो। मृत्यु की आपने एक तरीके से सिर्फ कल्पना की है। चाहे आप कितनी भी कल्पनाएं कर लें, कितनी भी किताबें पढ़ लें, कितने भी दर्शन सुन लें। अगले ही पल जब मौत आपके दरवाजे पर दस्तक देगी, तो आप पाएंगे कि उसके बारे में आप कुछ भी नहीं जानते।

जिंदगी की हकीकत यही है। मृत्यु आपके जीवन की इकलौती ऐसी चीज है, जो निश्चित है। आपके जीवन में क्या होगा, क्या नहीं होगा, यह हम नहीं जानते। जीवन लगातार अनिश्चित है। मृत्यु सौ फीसदी निश्चित है। उसके बारे में कोई संदेह न करें। जीवन को लेकर आपको लाखों शंकाएं हो सकती हैं। ‘मैं अमीर बनूंगा या नहीं?’ ‘मैं शिक्षित हो पाऊंगा या नहीं? ‘मुझे ज्ञान मिलेगा या नहीं?’ सवालों की भरमार है। मृत्यु को लेकर कोई प्रश्न नहीं है। यह सौ फीसदी तय है। निश्चित की बजाय आप अनिश्चित पर भरोसा करते हैं। आध्यात्मिक प्रक्रिया तभी शुरू होती है, जब आप अपनी मृत्यु के बारे में जागरूक होना शुरू करते हैं।

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